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मकर संक्रांति: 14 या 15 जनवरी, कब है यह त्योहार? जानिए सही तिथि और महत्वपूर्ण बातें

मकर संक्रांति: 14 या 15 जनवरी, कब है यह त्योहार? जानिए सही तिथि और महत्वपूर्ण बातें

लेखन अंजली
Jan 10, 2024
12:23 pm

क्या है खबर?

हर साल मकर संक्रांति पूरे देश में बहुत ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है। यह त्योहार सर्दियों के अंत और सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने के साथ लंबे दिनों की शुरूआत का प्रतीक है। इसे कुछ लोग फसल उत्सव भी कहते हैं। हालांकि, इस साल लोग इसकी तिथि को लेकर उलझन में हैं तो आइए आज हम आपको त्योहार की सही तिथि समेत अन्य महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।

तिथि

मकर संक्रांति 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को?

आमतौर पर मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को पड़ती है, लेकिन लीप वर्ष में यह 15 जनवरी को पड़ती है और 2024 लीप वर्ष ही है। द्रिक पंचाग के मुताबिक, त्योहार का पुण्य काल सुबह 7:15 बजे से शुरू होगा और शाम 17:46 बजे खत्म हो जाएगा। महापुण्य काल 14 जनवरी की सुबह 7:15 बजे से शुरू होकर 15 जनवरी की सुबह 9 बजे समाप्त हो जाएगा।

महत्व

मकर संक्रांति पर स्नान और दान का महत्व

ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाता है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। अगर आप किसी नदी के पास नहीं जा रहे हो तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाएं। इस त्योहार पर दान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान सीधे भगवान को समर्पित होता है।

जानकारी

सौर चक्र पर आधारित है यह त्योहार

मकर संक्रांति हिंदू धर्म के उन कुछ त्योहारों में से एक है, जो सौर चक्र के आधार पर मनाए जाते हैं। बता दें कि अधिकतर त्योहार चंद्र चक्र के आधार पर मनाए जाते हैं। यह त्योहार हर साल माघ के महीने में मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जनवरी से मेल खाता है। यह त्योहार खरमास/मलमास (15 दिसंबर से 14 जनवरी) की समाप्ति और सूर्य के राशि चक्र में परिवर्तन का प्रतीक है।

संबंध

त्योहार का महाभारत और गाय की पूजा से संबंध

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाभारत में भीष्म पितामह ने अर्जुन द्वारा तैयार की गई बाणों की शय्या पर अंतिम सांस लेने के लिए मकर संक्रांति की सुबह का इंतजार किया था क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुले होते हैं। इसके अलावा भगवान शिव ने नंदी को खेतों की जुताई में लोगों की मदद करने को कहा था, ताकि उनकी अनाज की जरूरत पूरी हो सके। तभी से इस दिन गाय को पूजा जाता है।