
किससे बनती है अंतरिक्ष यान की बाहरी सतह जो सह लेती है अधिक ठंड और गर्मी?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष में तापमान बहुत तेजी से बदलता है। जब यान सूरज की ओर होता है, तो उसका तापमान 120 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच सकता है। वहीं, जब वह अंधेरे हिस्से में होता है, तो तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। ऐसे हालातों में अगर यान की बाहरी सतह मजबूत न हो तो वह पिघल सकता है या टूट सकता है। ऐसे में वैज्ञानिकों को यान के बाहरी सतह की सामग्री बहुत सोच-समझकर चुननी पड़ती है।
सामग्री
खास सामग्री का होता है इस्तेमाल
अंतरिक्ष यान की बाहरी सतह को बनाने के लिए एल्यूमिनियम-लिथियम अलॉय, टाइटेनियम और कार्बन कंपोजिट जैसी धातुएं और मटीरियल्स का इस्तेमाल होता है। ये न सिर्फ हल्के होते हैं बल्कि तापमान को झेलने में भी सक्षम होते हैं। इसके अलावा, कुछ हिस्सों पर हीट शील्ड लगाई जाती है, जो वातावरण में लौटते समय बनने वाली तेज गर्मी से यान को बचाती है। यह शील्ड बहुत खास तरह की रोधी सामग्री से बनाई जाती है।
काम
हीट शील्ड कैसे काम करती है?
जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर लौटता है, तो वायुमंडल में घुसते समय घर्षण के कारण तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस तापमान से यान को बचाने के लिए उसके निचले हिस्से पर एक मोटी हीट शील्ड लगाई जाती है। स्पेस-X के ड्रैगन यान में 'PICA-X' नाम की सामग्री से बनी हीट शील्ड होती है, जो तापमान को सहते हुए खुद जलती है और बाकी यान को सुरक्षित रखती है। यह तकनीक यान को बचाने में अहम भूमिका निभाती है।
तकनीक
ठंड से बचाने की तकनीक
अंतरिक्ष में ठंड से बचाव के लिए यान की सतह पर मल्टी लेयर इंसुलेशन (MLI) लगाया जाता है। यह परतें धातु की पतली फॉयल जैसी होती हैं, जो गर्मी को बाहर नहीं निकलने देतीं और ठंड को अंदर नहीं आने देतीं। यान के अंदर तापमान को संतुलित रखने के लिए हीटर और थर्मल कंट्रोल सिस्टम भी लगाए जाते हैं। ये सब तकनीकें मिलकर यान को हर मौसम और तापमान में सुरक्षित रखती हैं।