रेनॉड सिंड्रोम क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज
रेनॉड सिंड्रोम एक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जो पैर की उंगलियों, नाक और कानों की छोटी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। ठंड के मौसम में इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों के हाथों का रंग सफेद होने लगता है। वैसे तो इस सिंड्रोम की रोकथाम संभव है, लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज ना कराया जाए तो यह घातक साबित हो सकता है। आइए आज रेनॉड सिंड्रोम के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।
रेनॉड सिंड्रोम के प्रकार
फिजिशियन अगस्टे गेब्रियल मौरिस रेनॉड के नाम पर, इस बीमारी की पहली बार 1862 में पहचान की गई थी। रेनॉड सिंड्रोम के दो मुख्य प्रकार हैं: प्राइमरी रेनॉड सिंड्रोम- इसके लक्षण हल्के होते हैं और यह जल्द ही दूर हो सकता है। सेकेंडरी रेनॉड सिंड्रोम- आमतौर पर ल्यूपस या रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी समस्या के कारण यह आपके शरीर के कनेक्टिव ऊतकों पर हमला करता है।यह काफी परेशानी देने वाला होता है।
रेनॉड सिंड्रोम के लक्षण
रेनॉड सिंड्रोम के सामान्य लक्षणों में ऑक्सीजन की कमी, हाथ और पैर की उंगलियां का सुन्न होना शामिल है। जब आप तनाव में होते हैं या बहुत ठंड होती है तो त्वचा सफेद या नीली हो जाती है, लेकिन हाथ-पैरों में झुनझुनी होती है तो ये सामान्य हो जाती हैं। इस सिंड्रोम के गंभीर होने पर त्वचा में अल्सर, दर्दनाक घाव या गैंग्रीन हो भी सकता है। इससे काफी तकलीफ झेलनी पड़ती है।
रेनॉड सिंड्रोम के कारण
ठंडे वातावरण में ज्यादा रहना, त्वचा पर ठंडा पसीना आना, ठंडे कमरे, चिंता, तनाव, ठंडे पानी में हाथ डालना और फ्रीजर के संपर्क में आना आदि इस सिंड्रोम के खतरे को बढ़ा सकता है। कनेक्टिव ऊतक रोग, कैंसर, रूमेटाइड अर्थराइटिस, धमनी रोग, कार्पल टनल सिंड्रोम, धूम्रपान और कुछ दवाइयां भी इस सिंड्रोम का कारण बन सकती हैं। सर्दियों के मौसम की शुरुआत से इसके बढ़ने की संभावना बढ़ सकती है।
सिंड्रोम का खतरा बढ़ाने वाले कारण
10 में से एक व्यक्ति में इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है और उनमें से अधिकांश को प्राइमरी रेनॉड सिंड्रोम होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसके होने की संभावना नौ गुना अधिक होती है। यह सिंड्रोम आमतौर पर 15 से 25 वर्ष की आयु के लोगों में होता है। 35 वर्ष से अधिक आयु के लोग समेत रूमेटाइड अर्थराइटिस, स्क्लेरोडर्मा और ल्यूपस से ग्रस्त लोगों को सेकेंडरी रेनॉड सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है।
क्या है इस सिंड्रोम का इलाज?
डॉक्टर इसकी पहचान के लिए आपके नाखूनों के आसपास की रक्त वाहिकाओं की जांच कर सकते हैं। इलाज की बात करें तो इसके लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करें जैसे ठंडे स्थानों पर जाने से बचें, ठंडी वस्तुओं को ना छूएं, तनाव से खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और ठंड के मौसम में पर्याप्त गर्म कपड़े पहनने से आप खुद को इस सिंड्रोम से बचा सकते है।