मलेरिया से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये 5 घरेलू नुस्खे, जल्द मिलेगा लाभ
मलेरिया लंबे समय से एक गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्या बनी हुई है। यह एक घातक और खतरनाक बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलती है। यह बीमारी तब फैलती है, जब मादा एनाफिलीज मच्छर पी ओवले, पी मलेरिया और पी फाल्सीपेरम जैसे जीवों से संक्रमित होकर किसी को काटता है। इस जानलेवा बीमारी को ठीक करने के लिए आदिवासी लोग कई तरह के घरेलू नुस्खे आजमाते हैं, जिन्हें आप भी आजमा सकते हैं।
नीम
भारत और अफ्रीका में सदियों से उपयोग की जाने वाली नीम मलेरिया के लक्षणों को कम कर सकती है। इसके पत्तों और अर्क में एंटीपीयरेटिक गुण होते हैं, जो मलेरिया के इलाज में प्रभावी होते हैं। नीम प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देकर खून से मलेरिया पैदा करने वाले पैरासाइट्स को बेअसर करने में मदद करती है। आप नीम की चाय को डाइट में शामिल कर सकते हैं या इसके पत्तों को चबा सकते हैं।
पपीते के पत्ते
कुछ संस्कृतियों में पपीते के पत्तों का उपयोग मलेरिया के एक प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता है। इस बीमारी के कारण शरीर में प्लेटलेट कम होने लगती हैं, जिससे नाक से खून आना समेत कई परेशानियां होने लगती हैं। पपीते के पत्तों का अर्क प्लेटलेट को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके पत्तों को चबाने से मलेरिया के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है। गर्मियों में मच्छर को दूर भगाने के लिए अपनाएं ये टिप्स।
हल्दी
आयुर्वेदिक चिकित्सा में हल्दी सदियों से इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है। इसमें करक्यूमिन नामक यौगिक होता है, जो मलेरिया के लक्षणों को कम कर सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और मलेरिया से जुड़ी सूजन को कम करने में सहायता करता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि हल्दी में मच्छरों के खिलाफ शक्तिशाली कीटनाशक गुण होते हैं। इसी कारण से यह मसाला मलेरिया के खिलाफ आपकी सुरक्षा कर सकता है।
कुनैन पेड़ की छाल
आप कुनैन नामक पेड़ की छाल से भी मलेरिया का उपचार कर सकते हैं। दक्षिण अमेरिका से उत्पन्न इस पेड़ की छाल को सदियों से मलेरिया को ठीक करने वाली दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। स्वदेशी समुदायों के लोग पारंपरिक रूप से मलेरिया के लक्ष्यों को कम करने के लिए कुनैन के पेड़ की छाल का अर्क पीते हैं। इससे साल 1940 तक इस बीमारी का सबसे कारगर उपचार माना जाता था।
अदरक
अदरक अपने स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने वाले गुणों के लिए जानी जाती है। इसे खान-पान का हिस्सा बनाने से मलेरिया के इलाज और रोकथाम को बढ़ावा दिया जा सकता है। अदरक के पौधे में जिंजरोल और जिंगेरोन जैसे यौगिक मौजूद होते हैं। इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीपीयरेटिक प्रभाव होते हैं, जो मलेरिया रोगियों के लिए फायदेमंद होते हैं। आप अदरक की कड़क चाय बनाकर पी सकते हैं या इसे अपने भोजन में इस्तेमाल करके इसके गुणों का लाभ उठा सकते हैं।