भारत के 5 मशहूर बायोस्फीयर रिजर्व, एक बार जरूर करें इनका रुख
भारत में लगभग 18 बायोस्फीयर रिजर्व हैं, जिनका उद्देश्य पर्यावरण, वन्यजीवन, विदेशी वनस्पतियों और जीवों की रक्षा करना है। ये रिजर्व सरकार द्वारा आसपास के क्षेत्र में रहने वाले पारंपरिक आदिवासी समुदायों की रक्षा और उनकी जीवनशैली समेत संस्कृति को संरक्षित करने के लिए भी स्थापित किए गए हैं। आइए आज हम आपको भारत के 5 ऐसे मशहूर बायोस्फीयर रिजर्व के बारे में बताते हैं, जिनका नाम यूनेस्को की सूची में भी शामिल है।
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व दक्षिण भारत में नीलगिरि पहाड़ियों और पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित है। यह यूनेस्को के मानव और जीवमंडल कार्यक्रम के तहत भारत में सबसे बड़े और पहले बायोस्फीयर रिजर्व में से एक है। साल 1986 में स्थापित इस रिजर्व को साल 2012 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसमें लुप्तप्राय नीलगिरि तहर और शेर-पूंछ वाले मकाक रहते हैं।
नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व
उत्तराखंड की नंदा देवी चोटी के समुद्र तल से 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नंदा देवी बायोस्फीयर की स्थापना साल 1982 में की गई थी। इसके 6 साल बाद 1988 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। साल 2005 में जीवमंडल का विस्तार किया गया और इसका नाम बदलकर नंदा देवी और फूलों की घाटी वाला राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया। इसमें 300 से अधिक प्रकार की वनस्पतियां और वन्यजीवों की कई प्रजातियां हैं।
सुंदरवन बायोस्फीयर रिजर्व
बांग्लादेश की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल में गंगा के विशाल डेल्टा में स्थित सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व को साल 1997 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह जंगल लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर के लिए सबसे बड़े अभ्यारण्यों में से एक है और लुप्तप्राय मुहाना मगरमच्छों का भी घर है। इसलिए कभी पश्चिम बंगाल जाएं तो सुंदरबन का रुख जरूर करें।
कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व
हिमाचल प्रदेश में स्थित कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व 7,700 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसमें चंद्रताल, पिन वैली नेशनल पार्क और सरचू और किब्बर वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं। यह रिजर्व हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है और पर्यटक वहां जा सकते हैं। वहां जाने पर आपको हिमालयी काले भालू, खरगोश, तिब्बती चिकारे और बर्फीले तीतर को भी देखने का अवसर मिल सकता है। छुट्टियों के दौरान वहां का रुख करना अच्छा है।
पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व
मध्य प्रदेश के सतपुड़ा रेंज में स्थित पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए की गई थी। भारत सरकार द्वारा साल 1999 में स्थापित इन रिजर्व ने साल 2009 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त किया। लगभग 5,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस रिजर्व में 3 अलग-अलग वन्यजीव संरक्षण हिस्से शामिल हैं, जिन्हें बोरी अभयारण्य, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और पचमढ़ी अभयारण्य कहा जाता है।