क्या है डिटॉक्स डाइट और क्या यह विज्ञान से जुड़ी है?
क्या है खबर?
डिटॉक्स डाइट ने स्वास्थ्य और कल्याण क्षेत्र में जिज्ञासा समेत विवाद को जन्म दिया है।
इसका कारण है कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के दावों के बावजूद इस डाइट में वैज्ञानिक आधार का अभाव है।
इस डाइट में 'डिटॉक्सिफिकेश' की कोई अवधारणा नहीं है। चिकित्सकीय रूप से इसकी कोई सिद्ध प्रभावशीलता नहीं है।
आइए आज हम आपको डिटॉक्स डाइट के बारे में विस्तार से बताते हैं।
डाइट
डिटॉक्स डाइट क्या है?
डिटॉक्स डाइट शॉर्ट-टम-थेरेपी की तरह काम करती है। इसका उद्देश्य शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाने में मदद करने का होता है।
एक पारंपरिक डिटॉक्स डाइट उपवास की अवधि से शुरू होती है, फिर इसमें फल, सब्जियां, फलों के जूस और पानी शामिल करना होता है।
ऐसा माना जाता है कि ये मल, मूत्र और पसीने के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को निकालती हैं। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन को भी बढ़ावा देती है।
तरीका
डिटॉक्स डाइट कैसे काम करती है?
डिटॉक्स डाइट ने हाल के दिनों में लोकप्रियता हासिल की है।
इस डाइट को फॉलो करने वालों को जड़ी-बूटियों के साथ केवल सब्जियों या फलों का जूस पीना होता है।
इस डाइट की शुरूआत सुबह के समय पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से करें, फिर ब्रेकफास्ट में फलों और सूखे मेवों की स्मूदी बनाकर पीएं।
लंच में खीरे के सूप का सेवन करें, जबकि स्नैक्स में छाछ पीएं और डिनर में मशरूम का सूप पीएं।
सच
डिटॉक्सिफिकेशन के पीछे की वास्तविकता
कई विशेषज्ञों का मानना है कि हमारा शरीर डिटॉक्स डाइट को अपनाएं बिना ही खुद को साफ करने में सक्षम है। हालांकि, इसके लिए आपकी सामान्य डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों समेत पर्याप्त पानी होना चाहिए।
कई डिटॉक्स डाइट इस बात पर जोर देती हैं कि वे आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल देंगे और रक्त को शुद्ध कर सकती हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे इसे कैसे पूरा करती हैं।
वैज्ञानिक प्रमाण
डाइट को लेकर नहीं है पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण
डिटॉक्स डाइट पूरक या पेय पदार्थों के फायदे चिकित्सा अनुसंधान द्वारा समर्थित नहीं हैं।
इसका कारण है कि इसमें कम कैलोरी और विटामिन तो होते हैं, लेकिन फाइबर, फैट और प्रोटीन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है।
इस वजह से इसे फॉलो करने वालों को तनाव, सिरदर्द, भूख और दस्त जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
ज्यादा डिटॉक्सिंग के कारण शरीर में कमजोरी भी महसूस होने लगती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
...तो क्या डिटॉक्स डाइट पर रहना सही है?
शरीर के सारे अंग अपने आप ही संतुलन बनाकर चलते हैं। ऐसे में जरूरी है आप अपनी डाइट में ठोस और तरल पदार्थों को एक संतुलित रूप में लें, ताकि आप स्वस्थ रहें।
तरल पदार्थों पर ही शरीर को रखना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
दरअसल, सिर्फ डिटॉक्स डाइट पर ही रहने से शरीर के अलग-अलग अंगों के काम करने की शैली में बदलाव आ जाता है, जिससे बीमारियां होने लगती हैं।