विश्व एड्स दिवस: जानिए इसका इतिहास, महत्व और इस बार की थीम
हर साल 1 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह इस घातक बीमारी के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए समर्पित दिन है। इसके अतिरिक्त यह दिन HIV के खिलाफ लड़ाई में एक साथ खड़े होने, HIV संक्रमितों के समर्थन और इस बीमारी से मरने वालों को याद करने का एक मौका है। आइए आज इस दिवस का इतिहास, महत्व और इस बार की थीम के बारे में जानते हैं।
क्या है इस बार की थीम?
इस साल इस दिवस की थीम 'लेट कम्यूनिटीज लीड' है। एड्स यानि एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम (AIDS) एक ऐसी बीमारी है, जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) की वजह से होती है। ये वायरस इम्युनिटी को कमजोर कर देता है, जिसके कारण मरीज आम संक्रमण से भी मर जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 10 साल में भारत में 17.8 लाख से ज्यादा लोग असुरक्षित शारीरिक संबंधों के कारण HIV से संक्रमित हुए हैं।
विश्व एड्स दिवस का इतिहास
विश्व एड्स दिवस मनाने की शुरुआत साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2 सार्वजनिक सूचना अधिकारी जेम्स डब्ल्यू बन्न और थॉमस नेट्टर के सुझाव के बाद की गई थी। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर AIDS के बारे में जागरुगता बढ़ाना था। जेम्स और थॉमस ने इस दिन को मनाने का विचार एड्स वैश्विक कार्यक्रम के निदेशक डॉ जॉनाथन मान को बताया, जिन्होंने इस पर सहमति जताते हुए 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस घोषित कर दिया।
इस दिवस को मनाना क्यों जरूरी है?
यह दिवस एड्स से लड़ने और उन लोगों की देखभाल और सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो इस बीमारी से पीड़ित हैं। दरअसल, इस बीमारी के खिलाफ शोध की प्रगति लड़खड़ा गई है, संसाधन कम हो गए हैं और लाखों लोगों की जान जोखिम में है। इसके परिणामस्वरूप विश्व एड्स दिवस मनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता और सरकार को याद दिलाता है कि इस घातक बीमारी का खतरा अभी दूर नहीं हुआ है।
कैसे मनाया जाता है यह दिवस?
इस घातक बीमारी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन विभिन्न गतिविधियों और अभियानों का आयोजन किया जाता है। इसमें जन जागरूकता अभियान, स्कूलों और समुदायों में शैक्षिक कार्यक्रम, स्वास्थ्य जांच और नीतिगत समर्थन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न NGO इस बीमारी के बारे में बात करने के लिए सोशल मीडिया पर लाइव सेशन भी आयोजित करते हैं। आप चाहें तो कुछ कथन और ईमेज को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके भी इस दिवस का समर्थन कर सकते हैं।
इन कारणों से फैलता है HIV वायरस
HIV व्यक्ति के शरीर में मुख्य रूप से 4 तरीकों से प्रवेश करता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से वायरस दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। संक्रमित व्यक्ति का खून असंक्रमित व्यक्ति को चढ़ाने से भी वायरस फैलता है। गर्भवती महिला से प्रसव या स्तनपान के दौरान उसके बच्चे में वायरस फैल सकता है। संक्रमित सुई के इस्तेमाल से भी वायरस एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाता है।
कैसे हुई HIV एड्स की उत्पत्ति?
सबसे पहले 19वीं सदी में अफ्रीका के खास प्रजाति के बंदरों में AIDS का वायरस पाया गया था, फिर उनसे यह बीमारी इंसानों तक पहुंच गई। इसका कारण यह माना जाता है कि अफ्रीका के लोग बंदर खाते थे। साल 1920 में यह घातक बीमारी धीरे-धीरे अफ्रीका के कॉन्गो की राजधानी किंशासा में फैल गई। हालांकि, सबसे पहले साल 1959 में कॉन्गो के एक बीमार व्यक्ति के खून के नमूने में HIV वायरस की पुष्टि हुई थी।