नींद के होते हैं 4 प्रकार, अध्ययन में हुआ खुलासा
गुणवत्तापूर्ण नींद शरीर को आराम देने के साथ-साथ स्मृति, मनोदशा और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने जैसे कई लाभ दे सकती है। इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अध्ययन किया गया, जिसमें नींद के प्रकारों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में पता लगाया गया। यह अध्ययन हाल ही में मेडिकल जर्नल साइकोसोमैटिक मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है, जिसमें सोने वालों को 4 श्रेणियों में बांटा गया है। आइए इन श्रेणियों के बारे में जानते हैं।
अच्छी नींद लेने वालों की है पहली श्रेणी
अध्ययन में सामने आया कि जिन लोगों का रोजाना एक समय पर उठना और सोना पसंद है, वे खुद को संतुष्ट और तरोताजा महसूस करते हैं। इसके अतिरिक्त पूरे दिन उनकी सतर्कता गुणवत्तापूर्ण नींद के कई लाभों का प्रमाण है, जैसे कि पोषक तत्वों का बेहतर तरीके से अवशोषण, हृदय का स्वस्थ रहना और स्मृति का तेज होना आदि। यहां जानिए अच्छी नींद को बढ़ावा देने में मददगार मेलाटोनिन युक्त खाद्य पदार्थ।
दूसरी श्रेणी में है वीकेंड कैच-अप स्लीपर्स
अध्ययन में सामने आई दूसरी श्रेणी 'वीकेंड कैच-अप स्लीपर्स' की है। इस श्रेणी में उन लोगों को शामिल किया गया है, जो वीकेंड पर अधिक सोकर बाकी दिनों की नींद को पूरा करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, साल 2019 के एक पेपर से पता चलता है कि यह तरीका उतना फायदेमंद नहीं होता है, जितना लगता है। इससे शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है।
तीसरी श्रेणी में शामिल हैं अनिद्रा से ग्रस्त लोग
तीसरी श्रेणी अनिद्रा से पीड़ित लोगों की हैं, जिनमें सोने में कठिनाई, सोते रहना, दिन में थकान का अनुभव करना और नींद आने में देरी होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। अमेरिका में क्लीवलैंड क्लिनिक के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 3 में से 1 व्यक्ति अनिद्रा का अनुभव करता है। यह नींद विकार कार्य प्रदर्शन और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त वाहन दुर्घटनाओं की संभावना को बढ़ा सकता है।
अंतिम श्रेणी है नैपर्स
अध्ययन की आखिरी श्रेणी 'नैपर्स' है। इन व्यक्तियों की नींद संबंधी आदतें अच्छी होती हैं, लेकिन वे अक्सर दिन के समय झपकी लेते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के साल 2023 के एक अध्ययन के अनुसार, 5 से 15 मिनट तक की झपकी संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ावा दे सकती है और मस्तिष्क को उम्र बढ़ने के प्रभावों से कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकती है। आंकड़ों से संकेत मिलता है कि वृद्ध लोग बार-बार झपकी लेते हैं।