
धार्मिक और ऐतिहासिक आकर्षणों से भरपूर है दिसपुर, यहां के इन पर्यटन स्थलों का करें रुख
क्या है खबर?
असम की राजधानी दिसपुर मनोरम दृश्यों, अनूठी परंपराओं और समृद्ध आदिवासी संस्कृति से भरपूर है, इसलिए यह राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
शहर में कई प्राचीन हिंदू मंदिर हैं जो बड़ी संख्या में आध्यात्मिक प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, यह वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला से समृद्ध है।
आइए इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं, जो निश्चित रूप से आपको बेहतर अनुभव देने समेत आपकी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं।
#1
असम राज्य संग्रहालय
असम राज्य संग्रहालय आपको राज्य के समृद्ध सांस्कृतिक अतीत की जानकारी देता है। यह इसके दक्षिणी छोर पर दिघाली पुखुरी में स्थित है।
इस संग्रहालय में कुछ संग्रह प्रागैतिहासिक काल के हैं। असम राज्य संग्रहालय के संग्रह में मूर्तियां, लकड़ी का काम, शाही परिवारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वस्त्र, हथियार, पेंटिंग, बर्तन, पत्थर और तांबे से बने शिलालेख और बहुत कुछ शामिल हैं।
यहां द्वितीय विश्व युद्ध की यादें भी देखने को मिलती हैं।
#2
बॉटनिकल गार्डन
432 एकड़ भूमि में स्थित बॉटनिकल गार्डन उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सबसे बड़ा चिड़िया घर है। साल 1957 में स्थापित चिड़ियाघर में 1982 में एक वनस्पति उद्यान जोड़ा गया।
इस चिड़ियाघर में जानवरों में सफेद बाघ, गैंडा, तेंदुआ और हिमालयी काला भालू शामिल हैं। वनस्पति उद्यान में फूलों, पौधों, जड़ी-बूटियों के साथ-साथ झाड़ियों की एक विस्तृत श्रृंखला है।
इसलिए यहां की यात्रा आपके परिवार के लिए रोमांचक हो सकती है।
#3
उमानंद मंदिर
यह मंदिर 17वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह शहर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह भगवान शिव को समर्पित है और नदी द्वीप के पास स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण अहोम के राजा गदापानी ने मनमोहक ब्रह्मपुत्र द्वीप पर करवाया था, जिसे मोर द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।
यह स्थान बहुत शांतिपूर्ण है और यहां की खूबसूरती देखने लायक है।
#4
कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या देवी मंदिर दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर स्थित है और यह 51 शक्तिपीठों में शामिल है।
मंदिर में देवी की प्रतिमा को नहीं, बल्कि योनि भाग को पूजा जाता है।
माना जाता है कि मानसून में 3 दिन तक देवी को मासिक धर्म आते हैं, जिस दौरान उनके पास एक सफेद कपड़ा रखा जाता है और मंदिर बंद कर दिया जाता है।
जब मंदिर खुलता है तो कपड़ा लाल रंग के पानी से भीगा मिलता है।
#5
बशिष्ठ आश्रम
यह आश्रम संध्या, ललिता और कांता नदियों के संगम पर स्थित एक तीर्थ स्थल है।
एक किंवदंती के मुताबिक, नदियों को ये नाम ऋषि बसिष्ठ की 3 पत्नियों के नाम पर मिले हैं। ऐसा कहा जाता है कि आश्रम की स्थापना उनके द्वारा की गई थी और यहां अक्सर तीर्थयात्री आते हैं।
आश्रम में बना बशिष्ठ मंदिर शिव को समर्पित है। मंदिर का निर्माण राजा राजेश्वर सिंह ने करवाया था।