दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों द्वारा दी जा रही छूट पर क्यों लगाई रोक?
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सराकर द्वारा लागू नई आबकारी नीति शुरुआत से ही विवादों में है। पहले भाजपा और कांग्रेस ने इसका विरोध किया और अब सरकार के शराब दुकानों द्वारा दी जाने वाली छूट पर रोक लगाने से ठेका संचालक भी विरोध में उतर आए हैं। 17 शराब कंपनियों ने आदेश को मनमाना और नीति के खिलाफ बताते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आइए जानते हैं आखिर सरकार ने छूट पर रोक क्यों लगाई है।
दिल्ली सरकार ने 28 फरवरी को लगाई थी छूट देने पर रोक
नई आबकारी नीति के तहत शराब दुकान संचालकों ने पिछले महीने शराब बिक्री बढ़ाने के लिए विभिन्न कंपनियों की शराबों पर भारी छूट देने का ऐलान किया था। इसके चलते कुछ शराब दुकानों पर शराब खरीदने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई थी। इसका कांग्रेस और भाजपा ने कड़ा विरोध किया था। ऐसे में अगले महीने होने वाले निकाय चुनावों को देखते हुए 28 फरवरी को सरकार ने शराब पर दी जाने वाली छूट को वापस ले लिया था।
नई आबकारी नीति में क्या है छूट को लेकर नियम?
नई आबकारी नीति के खंड 3.5.1 के तहत सभी L-72 लाइसेंसधारी आबकारी आयुक्त द्वारा निर्धारित शराब के अधिकतम खुदरा मुल्य (MRP) पर छूट और रियायत देने के हकदार हैं। इसके तहत कुछ खुदरा विक्रेताओं को वन-प्लस-वन (एक बोतल पर एक फ्री) ऑफर और 40-50 प्रतिशत छूट देने की अनुमति दी गई थी तो अन्य को टू-प्लस-वन (दो बोतल पर एक मुफ्त) का ऑफर के साथ 40-50 प्रतिशत तक छूट देने की इजाजत दी गई थी।
अतिरिक्त छूट के लिए किया 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान- विक्रेता
शराब की खुदरा बिक्री करने वाले संचालकों का कहना है कि उन्होंने दुकानों के संचालन में अतिरिक्त छूट हासिल करने के लिए नई नीति के तहत लाइसेंस शुल्क के अलावा उत्पाद शुल्क का अग्रिम और 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान किया था।
नीलामी प्रक्रिया में दी गई थी छूट के प्रस्ताव को मंजूरी
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) का कहना है कि शराब दुकानों की नीलामी के लिए आयोजित बोली प्रक्रिया में ही छूट का प्रस्ताव लेकर उसे अनुमति दी गई थी। नीति में बीयर वेंडिंग मशीन शुरू करने और टेट्रा पैक में शराब की बिक्री का भी प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि छूट वापस लेने से भले ही शराब बिक्री में कमी आई है, लेकिन अब लोग सस्ती शराब के लिए हरियाणा के गुड़गांव जाने लगे हैं।
सरकार ने क्यों लगाई है शराब पर मिलने वाली छूट पर रोक?
सरकार के आदेश को जब 17 कंपनियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी तो कोर्ट ने इस पर जवाब मांग लिया। इसको लेकर गुरुवार को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आदेश का बचाव किया। उन्होंने जस्टिस वी कामेश्वर राव से कहा कि छूट से लोगों में शराब पीने की प्रवृत्ति बढ़ रही थी और बाजार में शराब का एकाधिकार हो रहा था। इसी तरह कई अन्य कदाचार भी बढ़ रहे थे।
छूट के कारण बिगड़ रही थी कानून व्यवस्था
वकील सिंघवी ने कहा कि छूट के कारण शराब दुकानों पर भारी भीड़ जमा होने लगी थी और उसके कारण कानून-व्यवस्था बिगड़ने लग गई थी। इसके अलावा भीड़ से स्थानीय लोगों को भी खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और मामले बढ़ने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
याचिकाकर्ताओं ने दी करोड़ों का नुकसान होने की दलील
याचिकाकर्ताओं के वकील मुकुल रोहतगी और साजन पूवैया ने कहा कि संबंधित प्राधिकारी द्वारा बिना किसी अधिकार क्षेत्र के आदेश पारित किया गया है और पूरी तरह मनमाना है। इसके कारण याचिकाकर्ताओं की 75 प्रतिशत बिक्री कम हो गई है और उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। इस पर सिंघवी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यदि दुकान संचालकों को नुकसान हो रहा है वह कोर्ट में अपना बिक्री रिकॉर्ड प्रस्तुत कर सकते हैं।
शराब दुकान संचालकों ने क्यों दी थी बड़ी छूट?
शराब विक्रेताओं की माने तो उन्होंने लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए छूट का ऐलान किया था। इसी तरह नई नीति लागू होने से पहले एक महीने तक दुकानें बंद रहीं। छूट ने ग्राहकों को गुड़गांव जैसे पड़ोसी शहरों से शराब खरीदने से रोकने में मदद की थी। उन्होंने कहा कि उत्पाद शुल्क देने के बाद उन्हें छूट देने का अधिकार था। ऐसे में अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए उन्होंने छूट देने का ऐलान किया था।
सरकार के पास है नीति में संशोधन करने का अधिकार
आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि भले ही सरकार ने पहले नीति में छूट का प्रावधान किया था, लेकिन सरकार के पास नीति को अपडेट करने या फिर उसमें संशोधन करने का पूरा अधिकार है।
यह भी बताया जा रहा है छूट पर रोक का कारण
कुछ शराब दुकान संचालकों का दावा है कि सरकार ने आगामी दिल्ली नगर निगम (MCD) के चुनावों को देखते हुए छूट पर रोक लगाई है। कुछ लोगों ने आवासीय क्षेत्र में शराब दुकान की शिकायत की थी और विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया था।