राष्ट्रीय युद्ध स्मारक क्या है? जानिए इसकी महत्वपूर्ण बातें
सालों से राजधानी दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की मशाल की लौ शुक्रवार (21 जनवरी) को बुझा दी जाएगी। सरकार ने यह फैसला लिया है कि इस मशाल की लौ का विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में किया जाएगा। ऐसे में आइए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के बारे में महत्वपूर्ण बातें जानते हैं, जहां अमर ज्योति की लौ का विलय किया जा रहा है।
क्या है राष्ट्रीय युद्ध स्मारक?
पहले दिल्ली में केवल एक ही युद्ध स्मारक (इंडिया गेट) था। जिसे अंग्रेजों ने प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में बनवाया था। फिर 1971 की लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति बनाई गई। इसके बाद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण हुआ। यह एक ऐसा भारतीय स्मारक है, जो सशस्त्र बलों को सम्मानित करने के लिए बनाया गया है। यह भारतीय सेना के शहीद जवानों को समर्पित है।
कब बनाया गया राष्ट्रीय युद्ध स्मारक?
साल 2015 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया था, जिसके बाद 25 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को समर्पित कर दिया था। दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट के पास 40 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिसमें करीब 26,000 शहीद सैनिकों का नाम अंकित है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए 24 घंटे लौ जलती रहती है।
लंबे समय से थी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मांग
साल 1960 से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मांग की जा रही थी, जिसे साल 2015 में बनवाने की अनुमति दे दी गई थी। इसको बनवाने में करीब 176 करोड़ रुपये की लागत आई है। आजादी के बाद के युद्धों में देश के लिए जान देने वाले वीर सैनिकों के सम्मान के लिए ये मांग की गई थी। इसलिए आजादी के बाद के सभी सैनिकों के बलिदान की याद में इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया।
क्यों खास है राष्ट्रीय युद्ध स्मारक?
इस स्मारक के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बनाया गया है। इस ऊंचे स्तंभ के निचले भाग में 24 घंटे लौ जलती रहती है, जो अमर जवान ज्योति की तरह नजर आती है। इस स्मारक की ईंटों में हजारों शहीदों के नाम अंकित हैं। शहीदों के नाम के अलावा स्मारक में 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्तियां भी बनाई गई हैं। इस मेमोरियल में चार चक्र- अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और सुरक्षा चक्र बने हुए हैं।
स्मारक में बने चारों चक्र के बारे में जानें
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का पहला अमर चक्र शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है। दूसरा वीरता का चक्र है, जिसमें थल, वायु और नौसेना द्वारा लड़ी गई लड़ाईयों के बारे में बताया गया है। तीसरे चक्र का नाम त्याग चक्र है, जिसमें देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले शहीदों के नाम लिखे हुए हैं। चौथा सुरक्षा चक्र है, जिसमें 695 पेड़ लगाए गए हैं। ये पेड़ देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का डिजाइन किसने बनाया है?
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के मुख्य वास्तुकार वीबी डिजाइन लैब चेन्नई के योगेश चंद्रहासन है। जिन्होंने साल 2017 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के डिजाइन के लिए आयोजित प्रतियोगिता को जीता था। आपको बता दें कि साल 2016 में सरकार ने युद्ध स्मारक और संग्रहालय के डिजाइन के लिए विश्व स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की थी। जिसमें युद्ध संग्रहालय के डिजाइन के लिए मुंबई के एक स्टूडियो एसपी प्लस को चुना गया था।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लोगों को जाने के लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता। यहां जाना पूरी तरह से निशुल्क है। इस स्मारक में सप्ताह के किसी भी दिन जा सकते हैं।