प्रधानमंत्री मोदी ने जो 'कोवैक्सिन' वैक्सीन लगवाई, जानिए उसके बारे में महत्वपूर्ण बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवाकर वैक्सीनेशन के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री को भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' वैक्सीन लगाई गई जो अभी तक काफी विवादों में रही है। वैक्सीन को बिना तीसरे चरण के ट्रायल पूरे हुए लॉन्च किया गया है और इस कारण कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भी इसे लगवाने से इनकार कर चुके हैं। चलिए आपको निर्माण से लेकर साइड इफेक्ट्स तक कोवैक्सिन से संबंधित अहम जानकारियां देते हैं।
किसने किया है कोवैक्सिन को विकसित और ये कितनी प्रभावी?
भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर विकसित किया है और ये पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। लगभग 26,000 लोगों पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल जारी है और ये कितनी प्रभावी है, अभी इसका पता नहीं चला है।
वैक्सीन की कितनी खुराकें और किस उम्र के लोगों को दी जाएगी?
कोवैक्सिन दो खुराकों वाली वैक्सीन है, यानि ये दोनों खुराकों के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ इम्युनिटी पैदा करती है। हर खुराक में 0.5ml वैक्सीन दी जाएगी और दोनों खुराकों के बीत चार हफ्ते का अंतराल होगा। वैक्सीन दोनों खुराकें दिए जाने के 14 दिन बाद असर दिखाना शुरू करेगी। भारत में वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली है और अभी इसे 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही दिया जा रहा है।
वैक्सीन लगवाने से पहले स्वास्थ्यकर्मियों को क्या बताना होता है?
इंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन के तौर पर दी जाने वाली कोवैक्सिन को लगवाने से पहले लोगों को स्वास्थ्यकर्मियों को बताना होगा कि उन्हें किसी भी दवा, खाद्य पदार्थ, वैक्सान या कोवैक्सिन में शामिल किसी सामग्री से एलर्जी तो नहीं है। बुखार, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और इम्युनिटी से संबंधित किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को भी इसके बारे में स्वास्थ्यकर्मियों को सूचित करना होगा। कोरोना संक्रमितों और अस्पताल में भर्ती लोगों को ठीक होने के बाद वैक्सीन लगवाने की सलाह दी गई है।
किन लोगों को नहीं लगवानी चाहिए कोवैक्सिन?
कोवैक्सिन में शामिल किसी सामग्री से गंभीर एलर्जी वाले लोगों और गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं को अभी के लिए कोवैक्सिन नहीं लगाई जा रही है। बेहद कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को भी वैक्सीन न लगवाने की सलाह दी गई है।
वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट हैं?
केंद्र सरकार के अनुसार, कोवैक्सिन लगवाने के बाद कुछ आम साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। इनमें इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, गर्मी, लालिमा, खुजली या सूजन, अस्वस्थ महसूस करना, थकावट, बुखार, सिरदर्द, सर्दी लगना और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि शामिल हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में इंजेक्शन वाली जगह पर गांठ, उल्टी और गले में खराश और कफ जैसे फ्लू के लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
क्यों विवादों में है कोवैक्सिन?
किसी भी वैक्सीन को इंसानी ट्रायल के तीन चरण पूरे होने के बाद लॉन्च किया जाता है। इन ट्रायल्स में पता चलता है कि कोई भी वैक्सीन कितनी प्रभावी और सुरक्षित है। हालांकि, कोवैक्सिन को तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हुए बिना ही लॉन्च कर दिया गया है और इस पर तमाम विशेषज्ञ सवाल उठा चुके हैं। इसी कारण कोवैक्सिन विवादों में रही है और अब प्रधानमंत्री ने खुद इसे लगवाकर इस विवाद को शांत करने की कोशिश की है।
कोवैक्सिन की क्या कीमत और इसकी कितनी खुराकें लगाई गईं?
अगर कीमत की बात करें तो भारत सरकार को अभी तक कोवैक्सिन 206 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर पड़ी हैं। सरकार ने वैक्सीनेशन का पहला चरण पूरा होने से पहले कंपनी से 55 लाख खुराकें खरीदी थीं और फरवरी में उसे 45 लाख खुराकों का दूसरा ऑर्डर मिला है। अभी तक के वैक्सीनेशन अभियान में कुल 12.44 लाख लोगों को कोवैक्सिन की खुराक दी जा चुकी है। ट्रायल पूरे न होने के कारण इसका कम उपयोग किया गया है।