प्रताप भानु मेहता के बाद प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यन ने भी दिया अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा
क्या है खबर?
प्रताप भानु मेहता के बाद अब प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यन ने भी अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया है। जिन परिस्थितियों में मेहता ने पद छोड़ा, उनका हवाला देते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया है।
अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा है कि एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी होने के बावजूद अशोका यूनिवर्सिटी अकादमिक स्वतंत्रता प्रदान नहीं कर पा रही है और यह बहुत परेशान करने वाली बात है।
सुब्रमण्यन पिछले साल ही अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के तौर पर यूनिवर्सिटी से जुड़े थे।
इस्तीफा
इस्तीफे में सुब्रमण्यन ने कहा- आर्थिक नीति केंद्र बनाने के लिए आया था यूनिवर्सिटी
मोदी सरकार में भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके सुब्रमण्यन ने अशोका यूनिवर्सिटी की कुलपति मालाबिका सरकार को भेजे गए अपने इस्तीफे में लिखा है कि वह छात्रों को पढ़ाने और आर्थिक नीति केंद्र बनाने के लक्ष्य के साथ यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े थे और महामारी के बावजूद यूनिवर्सिटी के समर्थन से इस दिशा में उनकी उम्मीद से भी बेहतर काम चल रहा था।
उन्होंने कहा कि लग रहा था कि कुछ दीर्घकालिक लक्ष्यों को हासिल कर लिया जाएगा।
इस्तीफे का कारण
मेहता के इस्तीफे की परिस्थितियों ने मुझे तोड़ा- सुब्रमण्यन
सुब्रमण्यन ने आगे लिखा है, "हालांकि प्रोफेसर प्रताप भानु मेहता के "इस्तीफे" से संबंधित परिस्थितियों ने मुझे तोड़ दिया है... इतनी ईमानदारी और श्रेष्ठता वाले व्यक्ति को पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है, यह चिंतित करने वाला है। यह कि अपनी निजी स्थिति और निजी पूंजी के समर्थन के बावजूद अशोका भी अकादमिक अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता के लिए जगह प्रदान नहीं कर पा रहा, यह बुरी तरह परेशान करने वाला है।"
बयान
यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता सवालों के घेरे में- सुब्रमण्यन
सुब्रमण्यन ने कहा है कि अशोक के विजन के लिए लड़ने और इसे बनाए रखने की यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता सवालों में है और इससे उनके लिए अशोका का हिस्सा बना रहना मुश्किल हो गया है। उनका इस्तीफा इस शैक्षणिक साल के अंत से प्रभावी होगा।
मेहता इस्तीफा
मेहता ने मंगलवार को किया था इस्तीफा
बता दें कि जाने-माने राजनीतिक वैज्ञानिक और टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता ने मंगलवार को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया था।
मई, 2017 में कुलपति के तौर पर वह यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े थे, हालांकि दो साल बाद जुलाई, 2019 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और तभी से यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा रहे थे।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट मेहता हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में भी पढ़ा चुके हैं।
इस्तीफे का कारण
राजनीतिक दबाव से जोड़ा जा रहा मेहता का इस्तीफा, मोदी सरकार के कड़े आलोचक
मंगलवार को इस्तीफा देने का बाद मेहता ने इसका कोई कारण तो नहीं बताया था, हालांकि इसके पीछे राजनीतिक दबाव को एक अहम कारण माना जा रहा है।
मेहता की गिनती मोदी सरकार के कड़े आलोचकों में होती है और वह कई मौकों पर अपने लेखों और संबोधनों के जरिए सरकार की तीखी आलोचना कर चुके हैं।
इसी कारण मेहता के इस्तीफे को राजनीति से जोड़ा जा रहा है और सुब्रमण्यन के इस्तीफे से भी यह बात स्पष्ट होती है।