Page Loader
#NewsBytesExplainer: किसान फिर से आंदोलन क्यों कर रहे और इस बार उनकी क्या मांगें?
13 फरवरी को बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया है

#NewsBytesExplainer: किसान फिर से आंदोलन क्यों कर रहे और इस बार उनकी क्या मांगें?

लेखन नवीन
Feb 12, 2024
08:15 pm

क्या है खबर?

लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर किसान आंदोलित हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) समेत अन्य किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी को 'दिल्ली कूच' का नारा दिया है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है और हजारों किसान दिल्ली में सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। आइए जानते हैं कि क्यों फिर से किसान दिल्ली की ओर कूच रहे हैं।

मांग

क्या है किसानों की मांगें?

किसान संगठनों की केंद्र सरकार से कई मांगें हैं। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, किसान आंदोलन में शामिल किसानों की कर्ज माफी, वृद्ध किसानों को पेंशन, कृषि उत्पादों के आयात शुल्क कमी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 लागू करना प्रमुख हैं। इसके अलावा किसान कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन और विद्युत संसोधन विधेयक, 2020 को रद्द करने की मांग भी कर रहे हैं।

बयान

किसान नेताओं ने क्या कहना है?

BBC से बातचीत में संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, "हमने अपनी मांगें मनवाने के लिए 'दिल्ली चलो' का नारा नहीं दिया है, बल्कि हम सरकार से सिर्फ यही मांग कर रहे हैं कि किसान आंदोलन के दौरान उसने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करे।" उन्होंने कहा, "सरकार ने MSP, किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने, मृतक किसानों को मुआवजा समेत कई वादे किए थे, लेकिन इनमें से कोई भी वादा पूरा हुआ।"

चुनाव

लोकसभा चुनाव से पहले सड़क पर उतरने के पीछे क्या रणनीति?

एक साल तक चले लंबे किसान आंदोलन के बाद किसान फिर से सड़क पर उतरे हैं। वह लोकसभा चुनाव से पहले सरकार पर दबाव बनना चाहते हैं और यह किसान संगठनों की एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। विश्लेषकों का मानना है कि पिछला आंदोलन अचानक खत्म नहीं हुआ था और सरकार ने आंदोलन वापस लेने के बदले किसानों से कुछ वादे किए थे और अब किसान सरकार पर उन वादों को पूरा करने का दबाव डाल रहे हैं।

अधिकार

किसान अधिकार कार्यकर्ताओं ने क्या कहा?

किसान अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार मनदीप पूनिया का कहना है कि मौजूदा समय जिस आधार पर किसानों को उनकी फसलों का मूल्य दिया जा रहा है, उसमें उनकी लागत भी नहीं निकलती है और वो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक MSP मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को लगता है कि 4 महीनों के बाद देश में आम चुनाव होने हैं और ये सरकार पर वादों को पूरा करने का दबाव बनाने का सही समय है।

बातचीत

क्या किसानों से बातचीत करना चाहती है सरकार?  

केंद्र की ओर से किसानों से बातचीत के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की समिति बनाई गई है। सोमवार शाम को चंडीगढ़ में समिति में शामिल मंत्री किसान नेताओं से बातचीत करेंगे। हालांकि, किसानों के विरोध-प्रदर्शन से पीछे हटने की संभावना कम है और किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि वह न तो बातचीत से पीछे हटने वाले हैं और न ही आंदोलन से।

तैयारी

किसानों के दिल्ली कूच को लेकर क्या है सरकार की तैयारी? 

दिल्ली कूच में पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के 200 किसान संगठन हिस्सा लेने वाले हैं। सरकार प्रदर्शनकारियों को हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर ही रोकने की कोशिश में है। हरियाणा में 2 स्टेडियम को अस्थायी जेल में तब्दील किया गया है। पुलिस ने हरियाणा-पंजाब और दिल्ली-हरियाणा की सीमाओं पर अवरोधक और तारबंदी कर दी है। यहां पुलिस के साथ-साथ अर्द्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। मंगलवार को किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली में धारा 144 लागू रहेगी।