अमित शाह ने फोन कर दिया वार्ता का न्यौता, किसानों ने बनाई पांच सदस्यीय समिति
क्या है खबर?
तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी मुआवजे समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार रात को फोन कर वार्ता का न्यौता दिया है।
इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर बैठक कर निमंत्रण का स्वीकार किया और वार्ता के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया। यह समिति अब किसानों की अन्य मांगों को लेकर सरकार से वार्ता करेगी।
बयान
गृह मंत्री अमित शाह ने दिया था वार्ता का न्यौता- युद्धवीर सिंह
SKM के सदस्य युद्धवीर सिंह ने NDTV से कहा, "गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार रात फोन किया था। उन्होंने कहा था कानूनों को वापस ले लिया गया है और सरकार अन्य मांगों समाधान खोजने के लिए गंभीर है। उन्होंने सरकार से वार्ता लिए किसानों की एक समिति बनाने को कहा था।"
उन्होंने कहा, "किसानों ने वार्ता के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई है। इसमें उनके अलावा अशोक धावले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार कक्का शामिल है।"
स्पष्ट
मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन- सिंह
युद्धवीर सिंह ने कहा कि बैठक में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनने, किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने, आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार और समिति के बीच बैठक के नतीजे पर 7 दिसंबर को चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही आंदोलन की आगे की रणनीति निर्धारित की जाएगी।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री मोदी ने किया था कानूनों की वापसी का ऐलान
बता दें कि किसानों के कड़े विरोध और एक साल के किसान आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था।
अपने ऐलान में उन्होंने देश से माफी भी मांगी थी और संसद के अगले सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।
उनके ऐलान के बाद ही कृषि मंत्रालय और उपभोक्ता मंत्रालय ने इससे संबंधित विधेयक पर काम शुरू कर दिया था।
निर्णय
किसानों ने कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रखने का किया था निर्णय
प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद भी किसानों ने संसद में कानूनों की औपचारिक वापसी, MSP पर कानून बनाने सहित अन्य मांग को लेकर आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया था।
हालांकि, सरकार की अपील के बाद किसानों ने संसद तक ट्रैक्टर मार्च स्थगित कर दिया था।
इसके बाद सरकार ने 29 नवंबर को संसद में कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर दिया और फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उसे मंजूरी दे दी थी।
मांग
कानूनों की वापसी के बाद अन्य मांगों पर अड़े हुए हैं किसान
गत बुधवार को राष्ट्रपति द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने वाले विधेयक को मंजूरी देने के बाद किसान अन्य मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि किसान पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में सभी मांगे पूरी होने तक वापस नहीं लौटेंगे।
इसके बाद मंगलवार को केंद्र की ओर से किसानों को वार्ता के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने को कहा था, लेकिन किसानों ने औपचारिक निमंत्रण नहीं मिलने को लेकर उसे नहीं माना था।