
क्या उपमुख्यमंत्री बनाना संविधान का उल्लंघन है? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जो देश के अलग-अलग राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर की गई थी।
इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने कहा कि उपमुख्यमंत्री भी मंत्री होता है और इस पद को नाम देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।
दरअसल, याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि संविधान में उपमुख्यमंत्री का पद कहीं नहीं लिखा है।
दलील
याचिकाकर्ता ने क्या कहा था?
याचिकाकर्ता पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी के वकील ने कोर्ट में कहा था, "विभिन्न राज्यों में उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति करके गलत उदाहरण पेश किया जा रहा है। इस नियुक्ति का आधार क्या है? यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15(A) के सिद्धांत के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि राज्य को धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।"
कोर्ट ने इस दलील को कमजोर कहकर खारिज कर दिया।
कारण
कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
कोर्ट ने याचिका पर कहा, "अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका राज्यों में उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को चुनौती देने का प्रयास करती है। एक उपमुख्यमंत्री सबसे पहले और आखिर में राज्य सरकार में एक मंत्री होता है।"
कोर्ट ने कहा कि 'उपमुख्यमंत्री' महज एक लेबल है और उसे इस पद के आधार पर कोई भी विशेष सुविधा नहीं मिलती है, इसलिए उपमुख्यमंत्री बनाना संविधान का उल्लंघन नहीं है।
टिप्पणी
कोर्ट ने इस मामले पर और क्या कहा?
CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "ऐसी नियुक्तियां संविधान का उल्लंघन नहीं करती हैं क्योंकि उपमुख्यमंत्री अधिक वेतन नहीं लेता और सरकार में किसी भी अन्य मंत्री की तरह है। हो सकता है कि वो दूसरों की तुलना में अधिक वरिष्ठ हो।"
न्यायधीश मनोज मिश्रा ने कहा, "उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति कुछ राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी या पार्टियों के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा अधिक महत्व देने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रथा है। यह असंवैधानिक नहीं है।"
संविधान
भारतीय संविधान इस पर क्या कहता है?
संविधान के अनुच्छेद 163(1) के मुताबिक, मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों का परिषद भी होना चाहिए, जो राज्यपाल को उनके कामकाज में मदद करे और सलाह दे।
अनुच्छेद 164 का उपखंड (1) कहता है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे और बाकी मंत्री भी मुख्यमंत्री की सलाह पर वही नियुक्त करेंगे।
उपमुख्यमंत्री को व्यावहारिक रूप से राज्य में कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है और उसे अन्य कैबिनेट मंत्री जितनी तनख्वाह और सुविधाएं ही मिलती हैं।
जानकारी
देश के 14 राज्यों में हैं उपमुख्यमंत्री
वर्तमान में देश के 28 राज्यों में से 14 राज्यों में उपमुख्यमंत्री हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश 4 उपमुख्यमंत्रियों के साथ सबसे आगे है। बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 2-2 उपमुख्यमंत्री हैं।