#NewsBytesExplainer: कर्नाटक के मांड्या में हनुमान ध्वज क्यों उतारा गया और इससे संबंधित विवाद क्या है?
कर्नाटक के मांड्या जिले में भगवा रंग के हनुमान ध्वज को प्रशासन द्वारा उतारे जाने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। यहां केरागोडु गांव और आसपास के इलाकों में विरोध-प्रदर्शन के बाद तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। इसे देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं। इस बीच कर्नाटक सरकार ने भाजपा और अन्य विपक्षी पार्टियों पर लोगों को उकसाने का आरोप लगाया है। आइए जानते हैं कि यह पूरा विवाद क्या है।
क्या है मामला?
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर मांड्या जिले के केरागोडु गांव में कुछ ग्रामीणों ने 108 फीट ऊंचे पोल पर हनुमान ध्वज फहराया था। इसे लेकर शिकायतें दर्ज करवाई गईं तो प्रशासन ने ध्वज को उतारने का आदेश दे दिया। हालांकि, रविवार को जब पुलिस ध्वज उतारने पहुंची तो भीड़ ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके बाद कर्नाटक पुलिस को थोड़ा बल प्रयोग करना पड़ा और अंत में वो ध्वज उतारने में कामयाब रही।
ध्वज उतारने के दौरान क्या हुआ?
जब पुलिस ध्वज उतारने पहुंचीं तो प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय कांग्रेस विधायक के पोस्टर और बैनर फाड़ दिए। इन प्रदर्शनकारियों में विपक्षी पार्टी और बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल थे। वह ध्वज न हटाए जाने की मांग पर अड़े रहे और पुलिसकर्मियों ने जब ध्वज हटाने का प्रयास किया तो प्रदर्शनकारियों ने 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' के नारे लगाए और पुलिस को उन्हें हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। अंत में ध्वज हटाकर उसकी जगह 'तिरंगा' लगा दिया गया।
हनुमान ध्वज को क्यों उतारा गया?
मांड्या प्रशासन ने कहा कि श्री गौरीशंकर सेवा ट्रस्ट को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति दी गई थी और हनुमान ध्वज फहराना नियमों का उल्लंघन है, इसलिए हनुमान ध्वज उतार दिया गया। समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, केरागोडु और 12 पड़ोसी गांवों के लोगों और कुछ संगठनों ने रंग मंदिर के पास ध्वज स्तंभ की स्थापना के लिए चंदा दिया था और इसमें भाजपा और जनता दल सेक्युलर (JDS) के कार्यकर्ता शामिल थे।
कैसे विवाद ने लिया राजनीतिक रंग?
भाजपा और हिंदू संगठनों ने मांड्या में ध्वज हटाने जाने की निंदा की। कर्नाटक भाजपा ने घटना के विरोध में सोमवार को सभी जिलों में प्रदर्शन का ऐलान किया था। बेंगलुरु में आज भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया और कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान बेंगलुरु पुलिस ने प्रदर्शनकारी भाजपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। रविवार से मांड्या जिले में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने धारा 144 लागू की हुई है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मामले में क्या कहा?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मांड्या में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की बजाय भगवा ध्वज फहराया गया और यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, "इस विवाद के पीछे पीछे राजनीति भी हो सकती है। मुझे नहीं पता कि इसके पीछे कौन है। ये देश लोकतंत्र और संविधान से चलता है। कल वो (विपक्ष) ये भी कह सकते हैं कि कलेक्टर कार्यालय के सामने भगवा झंडा लगाया जाए, क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है?"
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया बोले- हम भी राम भक्त हैं
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने आरोप लगाया है कि विपक्ष लोगों को उकसा रहा है। उन्होंने कहा, "मैंने स्थानीय लोगों और अधिकारियों बात की है। एक निजी स्थान पर या एक मंदिर के पास हनुमान ध्वज स्थापित किया जाएगा। हम भी राम भक्त हैं।"
क्या है ध्वज विवाद को लेकर विपक्ष की मंशा?
ध्वज विवाद ने धीरे-धीरे राजनीतिक रंग ले लिया है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा-JDS इसे बड़ा मुद्दा बनाने में जुटी हैं। विपक्ष सिद्दारमैया सरकार को 'हिंदू विरोधी' साबित करना चाहता है। विपक्ष का दावा है कि प्रशासन को लिखे अनुमति पत्र में हनुमान ध्वज का उल्लेख किया गया था। इस पत्र में स्पष्ट लिखा था कि स्तंभ का उपयोग धार्मिक उदेश्य के लिए भी किया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि प्रशासन ने राज्य सरकार को गलत जानकारी दी है।