
#NewsBytesExplainer: फोर्स्ड पर्सपेक्टिव क्या है? शाहरुख खान इसी तकनीक से बने 'जीरो' में हीरो
क्या है खबर?
किसी भी फिल्म को खास बनाने के लिए तकनीक अहम भूमिका निभाती है। आज तकनीकी रूप से सिनेमा बेहद समृद्ध हो गया है। VFX के बढ़ते चलन ने दर्शकों के सिनेमाई अनुभव को और बेहतरीन बना दिया है।
इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसी तकनीक के बारे में बताएंगे, जिसकी मदद से फिल्मों में चीजों को छोटी या बड़ी दिखाया जाता है। इसका नाम फोर्स्ड पर्सपेक्टिव है।
आइए जानते हैं यह काम कैसे करती है।
तकनीक
फोर्स्ड पर्सपेक्टिव तकनीक के बारे में जानिए
यह तकनीक ऑप्टिकल भ्रम पैदा करती है, जिससे कोई इंसान या वस्तु वास्तविक आकार से छोटी या बड़ी दिखाई देने लगती है। फोर्स्ड पर्सपेक्टिव का उपयोग फिल्मी दुनिया में भी खूब किया जाता है, खासकर हॉलीवुड में।
इस तकनीक के जरिए फिल्मों में दिखाई गई कोई भी वस्तु या आदमी छोटा, बड़ा, पास या दूर हो जाता है। इससे ऐसी तस्वीर बनकर सामने आती है कि आंखों को हैरानी होती है। हालांकि, असलियत में ऐसा होता नहीं है।
तरीका
2 बार की जाती है दृश्याें की शूटिंग
यह एक एडवांस तकनीक है, जिसका इस्तेमाल आजकल कई जगहों पर किया जा रहा है, चाहे वो फिल्म हो या फोटोग्राफी।
ऐसे दृश्यों की शूटिंग 2 बार की जाती है। एक बार जिसे छोटा दिखाना है, उसके एंगल से शूट होती है और दूसरी बार बाकी लोगों को आम दिखाने के लिए होती है।
इसके द्वारा अलग-अलग एंगल में दृश्यों की शूटिंग की जाती है। इस तकनीक में ना सिर्फ कैमरा, बल्कि VFX और सेट भी अहम भूमिका निभाता है।
विस्तार
विस्तार से समझिए
एक सीन को इस तकनीक के हिसाब से करने के लिए दो सेट तैयार किए जाते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के लिए और दूसरा जिसे छोटा दिखाना है, उसके कद के हिसाब से।
दोनों दृश्यों को अलग-अलग शूट किया जाता है। फिर स्पेशल कैमरे पर इन दोनों दृश्यों को जोड़कर उसे क्रोमा और VFX के हिसाब से एक-दूसरे के ऊपर रख कवर कर दिया जाता है। उसके बाद सामने आता है बौना व्यक्ति, जो आपको हैरान कर देता है।
उपयोग
कई हॉलीवुड फिल्मों में हो चुका इस तकनीक का इस्तेमाल
फोर्स्ड पर्सपेक्टिव तकनीक की मदद से व्यक्ति 5 फीट से करीबन 2.5 फीट तक बौना दिखाया जा सकता है।
छोटी चीज को बड़ा दिखाने के लिए उसको कैमरे के पास रखते है और बड़े को छोटा दिखाने के लिए उसे कैमरे से दूर रखा जाता है। इसमें एंगल की भूमिका सबसे अहम होती है।
हॉलीवुड की 'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' और 'हैरी पॉटर' जैसी अब तक कई बड़ी फिल्मों में इस तकनीक का इस्तेमाल हो चुका है।
फिल्म 'जीरो'
इसी तकनीक जरिए बौने बने थे शाहरुख
क्या आपने शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म 'जीरो' देखी है? इसमें शाहरुख को इसी तकनीक की मदद से बौना दिखाया गया था।
खुद शाहरुख ने भी एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था। इस तकनीक के जरिए 5 फीट 8 इंच के शाहरुख को 4 फीट 6 इंच का किया गया।
'जीरो' में यह सारा काम गौरी खान की कपंनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट ने करीब 450 लोगों के साथ मिलकर किया था।
हालांकि, फिल्म फ्लॉप हो गई थी।
तकनीक का कमाल
बिल्कुल असली लगे थे 'बउवा सिंह'
'जीरो' देखते समय कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि ये नकली है या फिर 'बउवा सिंह' (शाहरुख) वास्तविक नहीं है।
शाहरुख ने कहा था कि वह इस फिल्म से एक बेंचमार्क सेट करना चाहते हैं। वह नहीं चाहते कि कोई फिल्म देख यह कहे कि भारत में सब चलता है। 'जीरो' में शाहरुख को छोटा दिखाने के लिए CG ट्रैकर्स की मदद भी ली गई थी।
बॉलीवुड में पहली बार 'जीरो' में यह तकनीक इस्तेमाल हुई थी।
तरीका
पहले कलाकार कैसे दिखते थे बौने?
शाहरुख से पहले कमल हासन फिल्म 'अपूर्व सहोदरंगल' में, अनुपम खेर 'जानेमन' में और जॉनी लीवर फिल्म 'आशिक' में बौने के किरदार में दिखे थे, लेकिन इस तकनीक का इस्तेमाल कोई नहीं कर पाया।
इन कलाकारों ने पैर मोड़कर अभिनय किया ताकि छोटे दिख सकें।
'अपूर्व सहोदरंगल' के निर्देशक ने खुद बताया था कि इसके लिए खास तरह के जूते बनवाए गए थे, जिसमें घुटने मोड़कर फिट हुआ जा सके और उसके साथ नकली पैर भी लगे हुए थे।