
भारत में इस बार समय से पहले क्यों आया मानसून और क्या पड़ेगा इसका प्रभाव?
क्या है खबर?
केरल और महाराष्ट्र समेत कई भारतीय राज्यों में इस साल मानसून ने तय समय से पहले ही दस्तक दे दी है।
केरल में मानसून जहां सामान्य तारीख (1 जून) से 8 दिन पहले यानी 24 जून को पहुंचा, वहीं महाराष्ट्र में इसने 25 मई को दस्तक दी।
उसके बाद लगातार हो रही बारिश से मुंबई और केरल में जनजीवन बेहाल हो गया है।
आइए जानते हैं कि इस बार देश में मानसून ने समय से पहले दस्तक क्यों दी है।
मानसून
महाराष्ट्र में 10 दिन पहले पहुंचा मानसून
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रविवार को महाराष्ट्र में मानसून के सामान्यतः 5 जून से 10 दिन पहले पहुंचने की घोषणा की। 35 साल बाद महाराष्ट्र में इतनी जल्दी मानसून आया है। इससे पहले 1990 में 20 मई को मानसून पहुंचा था।
मुंबई में रातभर हुई भारी बारिश के बाद ट्रैफिक, उड़ानें और लोकल ट्रेनें प्रभावित हुई हैं।
मानसून की बारिश ने लक्षद्वीप, दक्षिण, पश्चिम-मध्य और पूर्व-मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों और कर्नाटक को भी प्रभावित किया है।
हालात
मुंबई में बारिश के बाद कैसे हैं हालात?
PTI के अनुसार, भारी बारिश से मुंबई के किंग्स सर्किल, मंत्रालय, दादर टीटी ईस्ट, परेल टीटी, कालाचौकी, चिंचपोकली और दादर स्टेशन के निचले इलाकों में जलभराव हो गया।
इसी तरह मेट्रो स्टेशनों में पानी भरने से लोगों को परेशानी हुई।
स्पाइसजेट ने अपनी सभी उड़ानें प्रभावित होने की सूचना दी है। एयर इंडिया ने भी ऐसा ही यात्रा परामर्श जारी किया है।
IMD के अनुसार, कोलाबा में सर्वाधिक 135 मिलीमीटर और सांताक्रूज में सबसे कम 33 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई।
जानकारी
IMD ने मुंबई के लिए जारी किया येलो अलर्ट
IMD वैज्ञानिक सुषमा नायर ने बताया कि मुंबई इस समय मानसून की बारिश हो रही है। शहर में बुधवार तक बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान बारिश के साथ 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।
केरल
केरल में 16 साल बाद इतनी जल्दी आया मानसून
IMD ने गत 24 मई को केरल में मानसून के पहुंचने की घोषणा की थी। राज्य में इस बार यह 8 दिन पहले आ गया है।
16 साल बाद राज्य में इतनी जल्दी मानसून पहुंचा है। इससे पहले 2009 में 23 मई को मानसून आया था।
रविवार को केरल में हुई भारी बारिश से पेड़ उखड़ गए, मकान और निचले इलाके जलमग्न हो गए। वायनाड के पुजमकुनी गांव के आदिवासी परिवारों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया।
मानसून
भारत में आने वाला मानसून कहां से उठता है?
भारत में आने वाले मानसून की उत्पत्ति मूल रूप से हिंद महासागर और अरब सागर के ऊपर होती है।
गर्मियों में उत्तर भारत और तिब्बत का पठार के अधिक गर्म होने पर वहां कम दबाव बन जाता है। इस कारण हिंद महासागर और अरब सागर से नम और ठंडी हवाएं दक्षिण-पश्चिम दिशा से भारत की ओर बहने लगती हैं, जिसे दक्षिण-पश्चिम मानसून कहा जाता है।
ये मानसूनी हवाएं भारत के दक्षिणी सिरे (केरल) पर सबसे पहले पहुंचती हैं।
कारण
इस साल जल्दी क्यों आया मानसून?
IMD विशेषज्ञों के अनुसार, अनुकूल वायुमंडलीय और महासागरीय परिस्थितियों का संयोजन भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून को जल्दी लाता है।
इसी तरह मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO), मस्कारेन हाई और मानसून गर्त भी प्रमुख कारक है।
राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOA) के अनुसार, MJO बादलों, बारिश, हवा और दबाव का एक पूर्व की ओर बढ़ने वाला विक्षोभ है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों को पार करता है। यह भारत में मानसून को प्रभावित करता है।
सवाल
क्या होता है मास्कारेन हाई और मानसून गर्त?
IMD के अनुसार, मास्कारेन हाई उच्च दबाव वाला क्षेत्र है जो मानसून के दौरान दक्षिणी हिंद महासागर में मास्कारेन द्वीप समूह के आसपास उत्पन्न होता है।
मानसून गर्त एक लम्बा निम्न दबाव वाला क्षेत्र है जो निम्न दबाव क्षेत्र (अरब सागर के ऊपर विकसित होने वाला निम्न दबाव क्षेत्र) से लेकर बंगाल की खाड़ी के उत्तर तक फैला हुआ है।
13 मई के आसपास सामने आई तटस्थ अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) की स्थिति सामान्य या मजबूत मानसून का संकेत है।
जानकारी
हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों का पिघलना भी है कारण
IMD के अनुसार, ग्लोबल वाॅर्मिंग के तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इससे हिमालयी क्षेत्रों में जमा ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जो तापमान को और तेजी से बढ़ रहे हैं। यह भी समय से पहले मानसून का कारण हाे सकता है।
प्रभाव
क्या मानसून का समय से पहले आना है फायदेमंद?
दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में कृषि गतिविधियों के संचालन और जलाशयों को दोबारा भरने के लिए आवश्यक बारिश का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा लाता है।
मानसून का समय से पहले आगमन कृषि, मत्स्य पालन और पशुधन जैसे क्षेत्रों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
मुंबई स्थित ब्रोकरेज फर्म फिलिप कैपिटल इंडिया में कमोडिटी रिसर्च के उपाध्यक्ष अश्विनी बंसोड़ ने कहा, "समय से पहले मानसून दक्षिणी और मध्य राज्यों में ग्रीष्मकालीन फसलों की पैदावार बढ़ाने में मददगार है।"
दस्तक
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कब तक आएगा मानसून?
दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में मानसून के जल्दी आने के बावजूद आने में समय लगेगा।
IMD के अनुसार, दिल्ली-NCR में मानसून 27-29 जून के बीच पहुंचने की संभावना है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसकी तारीख 20 जून के आसपास और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 25-30 जून के बीच रहने का अनुमान है।
राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में यह 29 जून से 2 जुलाई के बीच पहुंच सकता है। ऐसे में इन राज्यों में अभी गर्मी बनी रहेगी।