#NewsBytesExplainer: दिसंबर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के मामले तेजी से क्यों बढ़ने लगते हैं?
कोरोना वायरस महामारी भले ही समाप्त हो चुकी है, लेकिन यह खतरनाक वायरस पूरी तरह से दुनिया से नहीं गया है। हर साल इसका कोई वेरिएंट दुनिया की चिंता बढ़ा देता है। अब नए वेरिएंट JN.1 के बढ़ते मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। गौर करें तो पता चलेगा कि हर साल दिसंबर में कोरोना के मामलों का ग्राफ बढ़ता है। आइए जानते हैं आखिर क्यों दिसंबर आते ही कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि होने लगती है।
दिसंबर में हुई थी कोरोना की शुरुआत
कोरोना वायरस की शुरुआत दिसंबर, 2019 में सबसे पहले चीन के वुहान शहर में हुई थी और फिर यह पूरी दुनिया में तेजी से फैलने लगा। अब तक पूरी दुनिया में आधिकारिक तौर पर कोरोना से 68 लाख से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं। भारत की बात करें तो यहां इससे लगभग 4.5 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं और 5.33 लाख की मौत हुई है। देश की अधिकतर व्यस्क आबादी को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
हर साल दिसंबर में बढ़ते हैं नए वेरिएंट के मामले
दिसंबर, 2020 में कोरोना वायरस में 3 बड़े म्यूटेशन अल्फा (B.1.1.7), बीटा (B.1.351), और गामा (P.1) हुए थे। दिसंबर, 2021 में ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से उभरा था। इसका सबवेरिएंट BA.4 इसी महीने में सामने आया था। कोरोना के मामले बढ़ने के कारण लोगों को फिर से घरों में कैद होना पड़ा था। इसके बाद दिसंबर, 2022 में ओमिक्रॉन सबवेरिएंट BA.2 और BA.5 के मामले सामने आए थे। इस दिसंबर में नए वेरिएंट JN.1 के मामले बढ़ रहे हैं।
क्या है JN.1 वेरिएंट?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, JN.1 ओमिक्रॉन वेरिएंट के BA.2.86 सब-वेरिएंट से निकला है। इसकी स्पाइक प्रोटीन में 41 म्यूटेशन हैं। यह पहले पाए गए XBB.1.5 और HV.1 वेरिएंट से अधिक खतरनाक है। इसका पहला मामला इसी साल 25 अगस्त को यूरोप के लग्जमबर्ग में सामने आया था। वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में पहले की तरह हल्का बुखार, खांसी, नाक बंद होना, गले में खराश, नाक बहना, सिर दर्द और पेट में गड़बड़ी की शिकायत सामने आ रही हैं।
दिसंबर में क्यों तेजी से फैलते हैं नए वेरिएंट?
कई अध्ययनों में सामने आया है कि कोरोना के बढ़ने में ठंड और शुष्क सर्दी बड़ा कारक है। यह मौसम वायरस के म्यूटेशन और प्रसार दोनों के लिए उपयुक्त होता है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में डेल्टा वेरिएंट के कारण आई दूसरी लहर की शुरुआत का विश्लेषण प्रकाशित हुआ। इसमें सामने आया कि जैसे-जैसे गर्मी से सर्दी का मौसम आता है, तापमान में गिरावट आती है और हवा शुष्क होती है, वैसे-वैसे वायरस तेजी से फैलने लगता है।
क्यों बढ़ जाता है नए वेरिएंट से संक्रमित होने का खतरा?
चीन की सिचुआन इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का भी यही मानना है कि गर्मी की तुलना में सर्दी का मौसम कोरोना वायरस और नए वेरिएंट से संक्रमित होने की अधिक संभावना है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे वायरस विकसित होता है, नए वेरिएंट सामने आते हैं, जबकि पिछले वेरिएंट के प्रति हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस वजह से नए वेरिएंट से जल्दी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
दिसंबर में वेरिएंट के मामलों में उछाल के और क्या कारण हैं?
कोरोना दिसंबर में चीन में सामने आया और फिर दुनिया के बाकी हिस्सों में इसके फैलने में बड़ा योगदान इसी महीने का था। दरअसल, दिसंबर के महीने में दक्षिणी ध्रुवी देशों में क्रिसमस तो उत्तरी ध्रुव के देशों में, खासकर चीन में नए साल का जश्न शुरू हो जाता है। इस दौरान दुनियाभर के देशों में बड़े स्तर पर लोग घूमने के लिए निकलते हैं और यही वायरस को दुनिया के बाकी हिस्सों में फैलने में मदद कर रहा है।
अभी देश में कितने मामले हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारत में कोरोना के सक्रिय मामले 4,000 से ऊपर पहुंच गए हैं। सुबह 8 बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 4,054 सक्रिय कोरोना के मामले दर्ज किए गए। कोरोना के नए JN.1 वेरिएंट के भारत में मामले अब 21 से बढ़ गए हैं। महाराष्ट्र में अकेले JN.1 वेरिएंट के अब कुल मामले 10 हो गए हैं। इससे पहले गोवा में 19 दर्ज किये गए थे।