क्या है अनुच्छेद 356, अनुच्छेद 370 से इसका संबंध और सुप्रीम कोर्ट ने इसपर क्या कहा?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के राष्ट्रपति के आदेश को वैध ठहराया है। कोर्ट ने केंद्र को जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने और उसका राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश भी दिया है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने यह बड़ा फैसला सुनाते समय अनुच्छेद 356 का भी जिक्र किया।
आइए जानते हैं कि अनुच्छेद 356 क्या है और इसे लेकर कोर्ट ने क्या कहा।
अनुच्छेद 356
क्या है अनुच्छेद 356?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है।
अगर राष्ट्रपति संबंधित राज्य के राज्यपाल के इस तर्क से संतुष्ट हैं कि राज्य में सरकार संविधान के प्रावधानों के तहत काम नहीं कर रही है तो केंद्र सरकार की सहमति से राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।
राष्ट्रपति शासन लगने पर राष्ट्रपति के पास राज्यपाल की सारी शक्तियां आ जाती हैं, वहीं विधानसभा की शक्तियां संसद के पास आ जाती हैं।
राष्ट्रपति शासन
अनुच्छेद 356 के तहत क्या होता है?
किसी भी राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राष्ट्रपति और केंद्र सरकार राज्यपाल के जरिए राज्य का प्रशासन चलाते हैं।
अक्सर चुनाव के बाद किसी भी पार्टी के सरकार नहीं बना पाने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।
देश में अब तक 130 से भी ज्यादा बार अनुच्छेद 356 का प्रयोग किया गया है। यह पहली बार 20 जून, 1951 को पंजाब में लागू हुआ था। 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा था।
कोर्ट
अनुच्छेद 356 का अनुच्छेद 370 के मामले से क्या संबंध?
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू रहने के दौरान ही 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया था।
उस वक्त राष्ट्रपति ने अपने एक आदेश से अनुच्छेद 367 में एक नया प्रावधान जोड़कर 'जम्मू-कश्मीर संविधान सभा' को बदलकर 'जम्मू-कश्मीर विधानसभा' कर दिया था।
चूंकि अनुच्छेद 356 के कारण विधानसभा की सारी शक्तियां संसद के पास थीं, ऐसे में संसद ने उनसे अनुच्छेद 370 को रद्द करने की सिफारिश की।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 356 पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू रहने के दौरान राज्य में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं और ये दायरा परिस्थितियों पर निर्भर होता है।
कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति के उपयोग का उद्घोषणा के उद्देश्य से उचित संबंध होना चाहिए।
कोर्ट की इस पूरी टिप्पणी का मतलब हुआ कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र सरकार राज्य में अपनी मनमानी से आदेश जारी नहीं कर सकती।
टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 356 पर और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान लिए गए केंद्र द्वारा लिए गए फैसले न्यायिक समीक्षा के अधीन होते हैं, लेकिन इस दौरान लिए गए हर फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे राज्य का प्रशासन ठप हो जाएगा।
कोर्ट ने याचिकार्ताओं का वो तर्क भी खारिज कर दिया कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र ऐसे फैसले नहीं ले सकती, जो अपरिवर्तनीय हों। उसने कहा कि केंद्र के पास राज्य की सारी शक्तियां होती हैं।
अनुच्छेद 370
न्यूजबाइट्स प्लस
1949 में लागू हुआ संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के आदेशों के जरिए इस अनुच्छेद को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में भी बांटा गया था।
इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन पर 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक बेंच ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया।