
अमृतपाल को डिब्रूगढ़ जेल में क्यों ले जाया गया और कितनी सुरक्षित है यह जेल?
क्या है खबर?
पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को रविवार सुबह गिरफ्तार कर लिया है। मोगा जिले के रोड़ा गांव में अमृतपाल ने सरेंडर किया था, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
पुलिस ने अब अमृतपाल को असम के डिब्रूगढ़ जेल में शिफ्ट किया है। इस जेल में अमृतपाल के 9 समर्थक पहले से ही कैद हैं।
समझते हैं आखिर अमृतपाल को डिब्रूगढ़ जेल में ही क्यों शिफ्ट किया जा रहा है।
पुरानी
164 साल पुरानी है डिब्रूगढ़ जेल
असम की डिब्रूगढ़ जेल को 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले भारतीयों को रखने के लिए बनाया गया था। आधिकारिक तौर पर जेल की स्थापना 1859-60 में हुई थी।
हालांकि, किताब 'अर्बन हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया ए केस स्टडी' में दीपाली बरुआ ने लिखा है कि 1840 में ब्रिटिश सरकार ने डिब्रूगढ़ जेल की इमारत के निर्माण के लिए 2,700 रुपये की मंज़ूरी दी थी।"
पूर्वोत्तर में कंक्रीट से बनी ये पहली जेल है।
ULFA
जेल से फरार हो गए थे ULFA के चरमपंथी
डिब्रूगढ़ जेल राज्य की 6 सेंट्रल जेलों में से एक है। 1991 के जून महीने में इस जेल में बंद प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के 5 हाई प्रोफाइल चरमपंथी फरार हो गए थे। इसके बाद जेल की दीवारों की ऊंचाई को बढ़ाया गया था।
1975 में यहां आपातकाल के समय जेल में आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम के तहत कुछ लोगों को गिरफ्तार कर रखा गया था।
दीवार
जेल के चारों ओर है 30 फीट ऊंची दीवार
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, डिब्रूगढ़ जेल शहर के बीचों बीच असम ट्रंक रोड के पास फूल बागान इलाके में लगभग 47 बीघा जमीन में फैली हुई है। जेल के मुख्य परिसर के चारों ओर करीब 30 फीट ऊंची दीवारें बनी हुई हैं।
वर्तमान में इस जेल में 680 कैदियों को रखने की व्यवस्था है। इसके अलावा जेल में पीने के साफ पानी और पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग कुल 94 शौचालय हैं।
वजह
खालिस्तान समर्थकों को डिब्रूगढ़ क्यों ले गई पुलिस?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार अमृतपाल मामले से जुड़े सभी लोगों को पहले तिहाड़ जेल में भेजने की तैयारी में थी, लेकिन दिल्ली की जेल में कई पंजाबी गैंगस्टर बंद हैं।
ऐसे में इनके बीच आपस में संपर्क हो सकता था, इसलिए सभी को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजने का फैसला किया गया।
2021 में जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत गिरफ्तार लोगों को भी आगरा की एक जेल में भेजा गया था।
साथी
डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं अमृतपाल के 9 साथी
पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के 9 सहयोगियों पपलप्रीत सिंह, दलजीत कलसी, बसंत सिंह, गुरमीत सिंह भुखनवाला, भगवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके, हरजीत सिंह, कुलवंत सिंह धालीवाल, गुरिंदर पाल सिंह और वरिंदर सिंह के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस दर्ज कर सभी को डिब्रूगढ़ जेल में हिरासत में रखा है।
21 मार्च को अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह के आत्मसमर्पण करने के बाद उन्हें भी डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया था।
सुरक्षा
जेल में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
अमृतपाल की गिरफ्तारी को देखते हुए जेल की सुरक्षा बढ़ाई गई है। जेल प्रशासन अमृतपाल पर 24 घंटे नजर रखने के लिए उसकी सेल में CCTV लगाने की तैयारी कर रहा है।
हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए एक जेल अधिकारी ने कहा, "CRPF के जवान 24 घंटे जेल की निगरानी कर रहे हैं। असम पुलिस के कमांडो भी तैनात किए गए हैं। कैदियों और जेल में आने-जाने वालों पर नजर रखने के लिए 57 CCTV कैमरे लगाए गए हैं।"