असम: क्या आपने कभी हाथी को गोलगप्पे खाते देखा है? नहीं तो अब देखिए
गोलगप्पे पूरे देश में पसंद किए जाते हैं। गोलगप्पे में मसालेदार मैश किए हुए आलू या मटर भरकर और चटपटे पानी के साथ उन्हें खाकर जो स्वाद आता है, उससे लोगों का दिल खुश हो जाता है। लेकिन क्या आपने इंसानों के अलावा किसी जानवर को भी गोलगप्पे खाते देखा है? दरअसल, असम के तेजपुर का एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक हाथी एक के बाद एक मजे से गोलगप्पे खाए जा रहा है।
एक हाथी लवर ने शेयर किया वीडियो
हाथी के गोलगप्पे खाने का वीडियो सूर्य पुथरन कर्णन ने अपने इंस्टाग्राम अकांउट soorya_puthran_karnnan पर मंगलवार को शेयर किया। उनके अकांउट में सारे वीडियोज हाथियों से ही संबंधित हैं। वीडियो में गजराज सड़क किनारे गोलगप्पे वाले के पास खड़ा है और इंतजार कर रहा है कि कब उसे गोलगप्पा खाने को मिलेगा। इसके बाद विक्रेता गोलगप्पा तैयार करके उसमें पानी डालकर गजराज को देता है और गजराज एक के बाद एक गोलगप्पे सूंड में रखकर खा रहा है।
देखिए हाथी के गोलगप्पे खाने का मजेदार वीडियो
करीब 2 लाख लोग देख चुके हैं वीडियो
असम से हाथियों का वीडियो वायरल होना काफी आम बात है, लेकिन ये ऐसा वीडियो है जिसे देखकर सब हैरान तो हैं ही, साथ ही में खूब मजे भी ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हो रहा है। अब तक करीब दो लाख लोग इस वीडियो को देख चुके हैं। इससे पहले यूजर्स ने एक हाथी को इतने शौक से गोलगप्पे खाते कभी नहीं देखा था। यूजर्स ने इसे गोलगप्पा लवर हाथी बुलाना शुरू कर दिया है।
गोलगप्पे खाने से हाथी को हो सकती हैं दिक्कतें
भले ही यूजर्स इस वीडियो को पसंद कर रहे हैं, लेकिन हाथी का गोलगप्पे खाना हानिकारक होता है। इससे हाथी को अपच हो सकती है और उसे पेट संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लोगों को अक्सर यह सलाह दी जाती है कि वे मानव निर्मित खाद्य पदार्थ जैसे रोटी, मसालेदार या तैलीय चीजें जानवरों और पक्षियों को बिल्कुल न खिलाएं क्योंकि उनके लिए इन्हें पचाना मुश्किल होता है।
असम में रहते हैं हजारों हाथी
असम में लगभग 5,000 एशियाई हाथी रहते हैं, जो भारत में हाथियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। यहां के लोग हाथी का बहुत सम्मान करते हैं और अक्सर उनकी पूजा भी करते हैं। लेकिन यहां भी घटते जंगलों के कारण अब हाथियों का रहना धीरे-धीरे मुश्किल हो रहा है। पर्यावरण NGO अरण्यक के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में हर साल औसतन 50 हाथियों की मौत हुई है।