गगनयान मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तैयार किए गए ये व्यंजन
भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लिए एग रोल्स, वेज रोल्स, इडली, मूंग दाल हलवा और वेज पुलाव आदि व्यंजन तैयार किए गए हैं। इन व्यंजनों को मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च लैबोरेट्री (DFRL) ने तैयार किया है। अब ये व्यंजन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को भेजे जाएंगे, जहां एस्ट्रोनॉट्स इस खाने को चखकर फीडबैक देंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, DFRL ने कुल 22 तरह के व्यंजन तैयार किए हैं।
एक साल तक चल सकता है बंद पैकेट में रखा खाना
DFRL के निदेशक अनिल दत्त सेमवाल ने बीबीसी को बताया कि एस्ट्रोनॉट्स इन व्यंजनों को खाकर देंखेंगे क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण होगा कि यह उनको कितने अच्छे लगते हैं। उन्होंने कहा कि पैकेट में बंद खाना एक साल तक चल सकता है, लेकिन एक बार पैकेट खोलने पर खाने को 24 घंटे के भीतर खत्म करना होगा। खाना गर्म करने के लिए एक हीटर भी दिया जाएगा, जो खाने को 70-75 डिग्री तक गर्म कर सकता है।
NASA के मानदंडों पर तैयार किया गया है खाना
सेमवाल ने बताया कि उनके लैब ने चिकन करी, बिरयानी, स्नैक्स के तौर पर अनानास और कटहल आदि दिया है। DFRL ने रेडिमेड इडली और सांबर तैयार किए हैं, जिसे पानी डालकर खाया जा सकता है। एस्ट्रोनॉट्स को दिया जाने वाला खाना अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मानदंडो पर तैयार किया गया है। DFRL ने इससे पहले 1984 में अंतरिक्ष मिशन में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा के लिए भी खाना तैयार किया था।
व्यंजन और उन्हें गर्म करने के लिए बना हीटर
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन के तहत भारत पहली बार अंतरिक्ष में मानव भेजेगा। इसके लिए चार एस्ट्रोनॉट्स का चयन किया गया है। ये एक सप्ताह तक अंतरिक्ष में रहकर प्रयोग करेंगे। अभी इनकी पहचान जाहिर नहीं की गई है। इन्हें ट्रेनिंग के लिए जनवरी के अंत में रूस भेजा जाएगा। इस मिशन की रूपरेखा 2007 से तैयार की जा रही है, लेकिन उस समय बजट और तकनीक की कमी के कारण इसे अंजाम नहीं दिया जा सका।
किसने किया एस्ट्रोनॉट्स का चयन?
ISRO ने गगनयान मिशन की पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स का चयन करने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना को दी थी। वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने एस्ट्रोनॉट्स का चयन किया है।
GSLV मार्क-3 से लॉन्च किया जाएगा गगनयान मिशन
2007 में ISRO के पास मौजूद GSLV रॉकेट इंसानों को ले जाने वाले मॉड्यूल में सक्षम नहीं थे। इसके बाद 2014 में ISRO ने GSLV मार्क-2 को तैयार कर इस यह काबिलियत हासिल की। गगनयान मिशन GSLV मार्क-3 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। इसी रॉकेट से चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। 15 अगस्त, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से गगनयान मिशन की घोषणा की थी। इसके लिए 10,000 हजार करोड़ के बजट को मंजूरी दी गई है।
इस साल भेजी जाएंगी दो टेस्ट फ्लाइट
ISRO ने गगनयान मिशन के लिए दिसंबर 2021 की समयसीमा तय की है। दिसंबर में तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इनकी पुख्ता सुरक्षा के लिए ISRO बेहद सावधानी से कदम उठा रहा है। इसका अभ्यास करने के लिए ISRO पहले दो मानवरहित फ्लाइट टेस्ट करेगा। पहली फ्लाइट जून, 2020 और दूसरी दिसंबर, 2020 में भेजी जाएगी। इनके बाद दिसंबर, 2021 में अंतरिक्ष यात्रियों वाली फ्लाइट भेजी जाएगी।
अभी तक केवल तीन देश हुए हैं सफल
भारत से पहले केवल अमेरिका, चीन और रूस ऐसे देश हैं, जो अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने में सफल हुए हैं। ऐसे में अगर गगनयान मिशन सफल रहता है तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।