गगनयान मिशन को लेकर अब तक क्या-क्या जानकारी सामने आई है?
क्या है खबर?
भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए तैयारियां जोरों पर हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख के सिवन ने मंगलवार को इस बारे में मीडिया को जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इस मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट्स का चयन किया गया है, जिन्हें 11 महीने की ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा जाएगा।
हालांकि, अगले साल दिसंबर में भेजे जाने वाले इस मिशन में केवल एक एस्ट्रोनॉट को भी भेजा जा सकता है।
गगनयान मिशन
कितने एस्ट्रोनॉट कितने समय के लिए अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे?
सिवन ने बताया, "हम तीन लोगों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, यह दो टेस्ट फ्लाइट के बाद तय किया जाएगा। आमतौर पर पहली फ्लाइट बहुत जरूरी होती है और अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों ने भी पहली बार केवल एक व्यक्ति को ही कम समय के लिए अंतरिक्ष में भेजा था।"
अनुमान
मिशन पर कितना खर्च आएगा?
गगनयान मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त, 2018 में इस मिशन की घोषणा की थी।
इसके तहत ISRO भारतीय वायुसेना से चुने एस्ट्रोनॉट्स को एक सप्ताह के लिए लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजेगा। यह ऑरबिट पृथ्वी से 2,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अधिकतर सैटेलाइट इसी ऑरबिट में भेजे जाते हैं।
ये एस्ट्रोनॉट्स सप्ताह भर अंतरिक्ष में रहकर प्रयोग करेंगे और फिर धरती पर वापस लौटेंगे।
जानकारी
किसने किया एस्ट्रोनॉट्स का चयन?
ISRO ने गगनयान मिशन की पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स का चयन करने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना को दी थी। वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने एस्ट्रोनॉट्स का चयन किया है।
ट्रेनिंग
एस्ट्रोनॉट को कहां और कैसी ट्रेनिंग दी जाएगी?
सिवन ने बताया कि मिशन के लिए चार पुरुषों को चुना गया है। हालांकि, उन्होंने इनकी पहचान जाहिर करने से इनकार कर दिया।
अगले सप्ताह से इन्हें ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा जाएगा। यहां इनके अलग-अलग वातावरणों में इनकी फिजिकल ट्रेनिंग होगी ताकि ये हर वातावरण के हिसाब से खुद को ढाल सके।
रूस से आने के बाद भारत में ISRO इनको एक और ट्रेनिंग देगा, जिसमें उन्हें मॉड्यूल को ऑपरेट और इसमें काम करने आदि सिखाया जाएगा।
गगनयान मिशन
2007 में बनी थी गगनयान की रूपरेखा
इस मिशन की रूपरेखा 2007 से तैयार की जा रही है, लेकिन उस समय बजट और तकनीक की कमी के कारण इसे अंजाम नहीं दिया जा सका।
2007 में ISRO के पास मौजूद GSLV रॉकेट इंसानों को ले जाने वाले मॉड्यूल में सक्षम नहीं थे। इसके बाद 2014 में ISRO ने GSLV मार्क-2 को तैयार कर इस यह काबिलियत हासिल की।
यह बात सब जानते हैं कि अब ISRO की काबिलियत का डंका बज रहा है।
गगनयान मिशन
एस्ट्रोनॉट का खाना कहां तैयार हो रहा है?
सिवन ने कहा कि मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च लैबोरेट्री एस्ट्रोनॉट्स के लिए खाना तैयार कर रही है।
उन्होंने कहा, "एस्ट्रोनॉट्स के लिए खाना तैयार करने के साथ-साथ DFRL के दूसरे लैब भी मिशन के दूसरे कामों में मदद कर रहे हैं। इनके लिए स्पेस सूट भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें रूस की मदद ली जा रही है।"
उन्होंने कहा कि गगनयान स्पेसक्राफ्ट में भेजे जाने वाले क्रू और सर्विस मॉड्यूल का काम पूरा कर लिया गया है।
गगनयान मिशन
फ्लाइट मॉडल कब तक तैयार होगा?
सिवन ने जानकारी देते हुए बताया लॉन्च व्हीकल का कागजी काम पूरा हो गया है और इसको मूर्त रूप देना अभी शुरू नहीं किया गया है।
पहले एक मॉडल बनाया जाएगा, जिसके बाद इसे टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा। इस साल दिसंबर तक पहला फ्लाइट मॉडल तैयार होगा।
ISRO का 'बाहुबली' GSLV मार्क-3 रॉकेट इन एस्ट्रोनॉट्स के साथ मॉड्यूल को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा।
GSLV मार्क-3 को ही चंद्रयान-2 भेजने के लिए उपयोग किया गया था।
लॉन्चिंग
कहां से लॉन्च होगा गगनयान मिशन?
यह मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। यहां के लॉन्चपैड में गगनयान के मानवमिशन होने के कारण कुछ बदलाव किए जा रहे हैं।
मानवमिशन को देखते हुए इस बार बाहरी विशेषज्ञों की भी सलाह ली जा रही है।
सिवन ने कहा कि आमतौर पर ISRO के लोग ही किसी मिशन की समीक्षा करते हैं, लेकिन इस बार खास मिशन को देखते हुए बाहर के विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है।
जानकारी
टेस्ट फ्लाइट में क्या किया जाएगा?
सिवन ने कहा कि असल मिशन से पहले टेस्ट फ्लाइट पर मानव से मिलता-जुलता रोबोट भेजा जाएगा। यह मिशन के दौरान ब्लड प्रेशर, हर्ट रेट आदि चीजें रिकॉर्ड करेगा। इसे तैयार किया जा रहा है। गगनयान मिशन से पहले ऐसी दो फ्लाइट भेजी जाएंगी।