ISRO ने की साल का शानदार शुरुआत, सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ GSAT-30
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस साल के पहले मिशन में कम्यूनिकेशन सैटेलाइट GSAT-30 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।
इस सैटेलाइट को यूरोपियन हैवी रॉकेट एरियन-5 के जरिए भारतीय समयानुसार देर रात 02:35 बजे दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर फ्रांसीसी क्षेत्र कौरो से लॉन्च किया गया।
38 मिनट बाद GSAT-30 सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में एरियन-5 से अलग हो गया।
यह सैटेलाइट हाई क्वालिटी टेलीविजन, टेलीकॉम और ब्रॉडकास्ट सर्विस देने में मदद करेगा।
ट्विटर पोस्ट
ऐसा रहा लॉन्चिंग से लेकर अलग होने तक का सफर
#Ariane5 will deploy its two satellite passengers on a mission lasting approximately 38 minutes and 25 seconds from liftoff to final payload separation. #VA251 pic.twitter.com/6H6S846SAw
— Arianespace (@Arianespace) January 16, 2020
खास बातें
15 साल तक काम करेगा GSAT-30
GSAT-30 का वजन लगभग 3,100 किलोग्राम है और इसका जीवनकाल 15 साल है।
इसे चलाने के लिए इसमें दो सोलर पैनल और एक बैटरी लगाई गई है। GSAT-30 पुराने हो चुके INSAT-4A की जगह लेगा। इस सैटेलाइट को 2005 में लॉन्च किया गया था।
बताया जा रहा है कि GSAT-30 से कम्यूनिकेशन सर्विस बेहतर हो सकेगी और उन क्षेत्रों में मोबाइल सर्विस पहुंचाई जा सकेगी, जो अभी तक इससे अछूते हैं।
एरियन-5 का यह 40वां मिशन था।
प्रतिक्रिया
ISRO ने बताई साल की शानदार शुरुआत
मिशन के सफलतापूर्वक लॉन्च होने की जानकारी देते हुए एरियनस्पेस के CEO स्टीफन इसराल ने ट्वीट कर बताया कि एरियन-5 ने EUTELSAT KONNECT और GSAT-30 को सफलतापूर्वक GTO में छोड़ दिया है।
इस मौके पर ISRO के यूआर सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर पी कुन्हीकृष्णन कौरो में मौजूद थे। उन्होंने ISRO टीम को बधाई देते हुए कहा यह इस साल की शानदार शुरुआत है।
उन्होंने कहा कि एरियन-5 से अलग होने के बाद ISRO ने इसका नियंत्रण ले लिया है।
ट्विटर पोस्ट
एरियन-5 से सफलतापूर्वक अलग हुआ GSAT-30
#GSAT30 successfully separated from the upper stage of #Ariane5 #VA251 pic.twitter.com/XraPhj37Xl
— ISRO (@isro) January 16, 2020
काम
क्या-क्या काम करेगा GSAT-30?
GSAT-30 के कम्यूनिकेशन पेलोड को अधिकतम ट्रांसपोंडर लगाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा।
इसका मुख्य इस्तेमाल वीसैट नेटवर्क, टेलीविजन अपलिंकिंग, टेलीपोर्ट सर्विस, डिजिटल सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग, डायरेक्ट टू होम के अलावा मौसम का अनुमान लगाने के लिए भी किया जाएगा।
यह सैटेलाइट KU बैंड में भारत केे शहरों और द्वीपों को और C बैंड में खाड़ी देशों, एशियाई देशों और आस्ट्रेलिया को कवरेज प्रदान करेगा।