चर्चित कानून: क्या है नशीले पदार्थों के खिलाफ बनाया गया NDPS एक्ट?
वैसे तो नशीले पदार्थों के खिलाफ बनाए गए नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS) के तहत देशभर में हर साल हजारों मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत और शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की क्रूज पर ड्रग पार्टी के मामले में हुई गिरफ्तारी ने इस एक्ट की ओर सभी का ध्यान खींचा है। ऐसे में यहां जानते हैं आखिर NDPS एक्ट क्या है और इसमें किस तरह कार्रवाई और सजा मिलती है।
आखिर क्या है NDPS एक्ट?
देश की संसद ने 1985 में NDPS एक्ट पारित किया था। हिंदी में इसका नाम स्वापक औषधि और मन:प्रभावी अधिनियम, 1985 है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी नशीले पदार्थ की गैर कानूनी तरीके से खेती, उत्पादन, निर्माण, भंडारण, बिक्री, परिवहन या उपयोग को प्रतिबंधित करना है। इसमें जमानत मुश्किल होती है और इसका उल्लंघन करने पर कठोर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। इसमें साल 1988, 2001 और 2014 में संशोधन भी किया जा चुका है।
NDPS एक्ट के तहत कौन से ड्रग्स हैं प्रतिबंधित?
NDPS एक्ट में नशीले पदार्थों को दो श्रेणियों में बांटा गया हैं। पहली श्रेणी में नारकोटिक यानी नींद लाने वाले ड्रग्स को शामिल किया गया है। ये ड्रग्स चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन, कोकीन, मॉर्फीन जैसी प्राकृतिक चीजों से बनते हैं। इसी तरह दूसरी श्रेणी में साइकोट्रोपिक यानी दिमाग पर असर डालने वाली ड्रग्स शामिल हैं। इनका निर्माण केमिकल के उपयोग से किया जाता हैं, जिनमें LSD, MMDA और अल्प्राजोलम आदि शामिल हैं।
इन ड्रग्स के अधिक सेवन से होता है जिंदगी को खतरा
NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित ड्रग्स का अधिक इस्तेमाल मानव जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। हालांकि, इनमें कुछ जीवन रक्षक दवाइयां भी हैं, लेकिन उनके अधिक मात्रा में सेवन से नशा होता है और जान भी जा सकती है। जैसे अल्प्राजोलम को नींद नहीं आने की समस्या होने पर उपचार के रूप में सीमित मात्रा में दिया जाता है, लेकिन इसका तय सीमा से ज्यादा सेवन जानलेवा होता है। ऐसे में इन पर निगरानी आवश्यक होती है।
NDPS एक्ट में कार्रवाई के लिए किया गया है NCB का गठन
सरकार ने NDPS एक्ट में कार्रवाई के लिए 17 मार्च, 1986 को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया था। इसके सभी राज्यों में ब्यूरो कार्यालय भी हैं। NCB नशीले पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली सबसे बड़ी जांच एजेंसी है।
NDPS एक्ट के तहत क्या अधिकार मिले हैं?
NDPS एक्ट की धारा 41 के तहत सरकार को नशीली दवा का सेवन करने वाले की पहचान, इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना का अधिकार है। इसी तरह धारा 42 के तहत जांच अधिकारी को बगैर वारंट के तलाशी लेने, नशीले पदार्थ जब्त करने और गिरफ्तार करने का भी अधिकार है। इस एक्ट में राज्य की पुलिस भी कार्रवाई कर सकती है, लेकिन कार्रवाई के बाद उसकी जांच संबंधित NCB शाखा को सौंपनी होती है।
NDPS एक्ट में क्या है सजा का प्रावधान?
NDPS एक्ट में सजा का निर्धारण ड्रग्स की मात्रा पर निर्भर होता है। मात्रा के आधार पर तीन तरह की सजाएं होती हैं। इसमें अल्प मात्रा, अल्प मात्रा से अधिक और वाणिज्यिक मात्रा से कम और वाणिज्यिक मात्रा के आधार पर सजा का ऐलान किया जाता है। अल्प मात्रा में ड्रग्स मिलने पर एक साल की जेल या 10,000 रुपये जुर्माना अथवा दोनों दिए जा सकते हैं। इस तरह के अपराध में आरोपी को आसानी से जमानत मिल जाती है।
अन्य दो मामलों में क्या मिलती है सजा?
अल्प मात्रा से अधिक और वाणिज्यिक से कम ड्रग्स मिलने पर 10 साल की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। इस मामले में जमानत मिलना मुश्किल होता है। इसी तरह वाणिज्यिक मात्रा में ड्रग्स मिलने पर 10 से 20 साल की जेल या एक से दो लाख रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में आरोपी को जमानत नहीं दी जाती है।
किस ड्रग्स के लिए कितनी मात्रा है निर्धारित?
NDPS एक्ट में अल्प मात्रा की श्रेणी में गांजा एक किलो, चरस 100 ग्राम, कोकीन दो ग्राम, हेरोइन पांच ग्राम, अल्प मात्रा से अधिक और वाणिज्यिक से कम में गांजा एक से 20 किलो, चरस 100 ग्राम से एक किलो, कोकीन दो से 100 ग्राम और हेरोइन पांच से 250 ग्राम शामिल है। इसी तरह वाणिज्यिक में गांजा 20 किलो से अधिक, चरस एक किलो से अधिक, कोकीन 100 ग्राम से अधिक और हेरोइन 250 ग्राम से अधिक शामिल है।
बार-बार अपराध करने पर है मृत्युदंड का प्रावधान
NDPS एक्ट में किसी व्यक्ति बार-बार अपराध करने पर पहले दी गई सजा की तुलना में हर बार डेढ़ गुना अधिक सजा दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा धारा 31 (क) के तहत उसे मृत्युदंड भी दिया जा सकता है।
NDPS एक्ट की धारा 27 को लेकर है विवाद
NDPS एक्ट का धारा 27 में किसी भी प्रतिबंधित ड्रग्स का इस्तेमाल करने पर एक साल की सजा या 20,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। इसमें पहली बार उपभोग करने वाले, इसके आदी लोगों और इस पर निर्भर लोगों में कोई अंतर नहीं किया गया है। इसमें सभी को समान सजा दिए जाने को लेकर विवाद है। इस धारा को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी जा चुकी है, जिस पर बहस जारी है।
NDPS एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है सरकार
NDPS एक्ट की सख्ती को देखते हुए अब सरकार इसमें संशोधन की तैयारी कर रही है। इसके तहत अब ड्रग्स का सेवन करते पाए जाने पर लोगों को एक साल तक सामुदायिक सेवा करनी पड़ सकती है। इसके अलावा संशोधित NDPS कानून में ड्रग्स उपयोगकर्ता को इलाज के लिए सुधार केंद्रों में भेजने का प्रावधान होगा। अगर वो ऐसा करने से मना कर देंगे तो उन्हें एक साल तक सामुदायिक सेवा करनी पड़ सकती है।
इन मामलों में चर्चा में रहा है NDPS एक्ट
वैसे तो NDPS एक्ट के तहत देशभर में लगातार कार्रवाई होती है, लेकिन पिछले साल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग एंगल आने के बाद यह एक्ट सबसे अधिक चर्चा में रहा था। इसके तहत अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती सहित कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी और कई अभिनेता और अभिनेत्रियों से पूछताछ की गई थी। इसी तरह आर्यन खान की क्रूज पर ड्रग पार्टी मामले में गिरफ्तारी होने पर भी यह एक्ट चर्चा में रहा था।