कैसे नया आयकर विधेयक करदाताओं का उलझन करेगा खत्म? जानिए क्या होंगे इसमें प्रावधान
क्या है खबर?
केंद्र सरकार जल्द संसद में नया आयकर विधेयक पेश करने वाली है।
इसमें 'पिछले वर्ष' को 'कर वर्ष' से बदला जाएगा और 'आकलन वर्ष' की पुरानी प्रणाली खत्म होगी। अभी करदाता जिस साल की आय पर टैक्स भरते हैं, उसे 'पिछला वर्ष' और अगले साल को 'आकलन वर्ष' कहा जाता है, जिससे काफी भ्रम होता है।
नया विधेयक इस उलझन को खत्म करेगा और कर वर्ष को 1 अप्रैल से शुरू होने वाले 12 महीने के रूप में तय करेगा।
संरचना
नई संरचना और कम पृष्ठ
नए कानून में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां हैं, जबकि पुराने कानून में 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां थीं।
पहले के 880 पृष्ठ अब 622 कर दिए गए हैं, जिससे इसे पढ़ना और समझना आसान होगा।
सरकार चाहती है कि टैक्स से जुड़े नियम ज्यादा स्पष्ट हों, ताकि लोगों को समझने में परेशानी न हो। इससे आम लोगों और कारोबारियों दोनों को फायदा होगा।
अधिकार
CBDT को मिले नए अधिकार
अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को ज्यादा अधिकार मिलेंगे। पहले टैक्स से जुड़े कई नियमों को बदलने के लिए पहले संसद की मंजूरी लेनी पड़ती थी, जिससे काम पूरा होने में देरी होती थी।
अब CBDT को नियम बनाने, टैक्स प्रक्रियाओं को सरल करने और डिजिटल टैक्स सिस्टम लागू करने का अधिकार मिलेगा।
इससे आयकर विभाग तेज और प्रभावी तरीके से काम कर सकेगा और करदाताओं की दिक्कतें कम होंगी।
सुझाव
समीक्षा और सार्वजनिक सुझाव
इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की योजना है। सरकार ने जनता से सुझाव मांगे हैं कि इसमें क्या बदलाव किए जाएं।
खासकर भाषा को आसान बनाने, मुकदमों की संख्या कम करने, अनुपालन के नियम सरल करने और पुराने बेकार नियमों को हटाने पर सुझाव लिए गए हैं।
अब तक 6,500 से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं। सरकार चाहती है कि यह नया कानून ज्यादा पारदर्शी हो और आम लोगों के लिए समझने में आसान बने।