
भारतीय वायुसेना में शामिल हुए चार चिनूक हेलिकॉप्टर, जानिये इनकी खास बातें
क्या है खबर?
भारतीय वायुसेना ने अपनी ताकत को विस्तार देते हुए चार चिनूक हेलिकॉप्टर को अपने बेड़े में शामिल किया है।
इस हेलिकॉप्टर को विमान कंपनी बोइंग ने बनाया है। चंडीगढ़ में वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ की मौजूदगी में चार भारी क्षमता वाले चिनूक हेलिकॉप्टर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया।
उन्होंने इसे सैन्य इतिहास का महत्वपूर्ण दिन बताते हुए कहा कि ये हेलिकॉप्टर देश की धरोहर है।
आइये, वायुसेना के इस नए हेलिकॉप्टर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
टिप्पणी
वायुसेना प्रमुख ने कही यह बात
चंडीगढ़ एयरबेस पर चिनूक हेलिकॉप्टर के बारे में बताते हुए वायुसेना प्रमुख धनोआ ने कहा कि चिनूक हेलिकॉप्टर सैन्य अभियानों में प्रयोग किया जा सकता है। चिनूक को वायुसेना में शामिल करना गेमचेंजर साबित होगा ठीक वैसे ही जैसे फाइटर क्षेत्र में राफेल को शामिल करना।"
उन्होंने कहा कि चिनूक को कुछ बहुत विशेष क्षमता से लैस किया गया है।
आपको जानकारी के लिए बता देें कि भारत ने ऐसे 15 हेलिकॉप्टर की डील की है।
ट्विटर पोस्ट
वायुसेना प्रमुख का बयान
Air Chief Marshal BS Dhanoa: Chinook helicopter can carry out military operations, not only in day but during night too; another unit will be created for the East in Dinjan (Assam). Induction of Chinook will be a game changer the way Rafale is going to be in the fighter fleet. pic.twitter.com/TxJgJt8h5P
— ANI (@ANI) March 25, 2019
खास बातें
ये है चिनूक की खासियत
चिनूक हेलिकॉप्टर लगभग 11 हजार किलो वजन तक के हथियार और सैनिकों को लेकर उड़ान भर सकता है।
हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई पर उड़ान भरने और में बहुत कारगर साबित हो सकता है। इसे छोटे हेलिपैड पर आसानी से उतारा जा सकता है।
अधिकतम 315 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड वाला यह हेलिकॉप्टर खराब मौसम में भी उड़ान भर सकता है।
इसका इस्तेमाल हथियारो, सैनिकों को लाने-ले जाने के अलावा आपदा राहत के काम भी किया जा सकता है।
जानकारी
19 देशों के पास है चिनूक
फिलहाल अमेरिका समेत दुनिया के 19 देश बोइंग के इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिकी एयर फोर्स साल 1962 से इसे इस्तेमाल कर रही है। इसे वियतनाम, अफगानिस्तान और इराक तक के युद्ध में इस्तेमाल किया जा चुका है।
चिनूक
भारतीय वायुसेना के लिए चिनूक का महत्व
चिनूक के शामिल किए जाने से न सिर्फ वायुसेना को मजबूती मिलेगी, बल्कि सीमाई क्षेत्रों में सड़क बनाने वाली बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की भी लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है।
BRO काफी समय से एक हेवी लिफ्ट चॉपर की मांग कर रही है जो घाटियों में भारी मशीनों और दूसरे सामान की आपूर्ति कर सके।
वायुसेना में चिनूक के शामिल होने से पूर्वोत्तर में BRO के अटके पड़े प्रोजेक्ट में तेजी आने की उम्मीद है।