कोरोना वायरस संकट के बीच इन राज्यों ने बढ़ाई तेल की कीमतें
लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच कई राज्यों ने राजस्व बढ़ाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और सेस लगाकर कीमतों में बढ़ोतरी की है। गुरुवार को नागालैंड सरकार ने भी ऐसा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने पेट्रोल पर 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 5 रुपये प्रति लीटर सेस बढ़ा दिया है। नागालैंड से पहले असम और मेघालय सरकार भी ऐसा कदम उठा चुकी हैं।
मौजूदा सेस और कीमतों से अलग होगा इजाफा
नागालैंड सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राज्यपाल ने मौजूदा कीमतों और सेस से अतिरिक्त COVID-19 सेस लगाने की मंजूरी दे दी है। बता दें, अब तक तीन राज्य इस संकट के बीच तेल की कीमतें बढा चुके हैं।
असम सरकार ने भी बढ़ाए थे दाम
पिछले सप्ताह असम सरकार ने भी ईंधन के दामों में इजाफा किया था। राज्य सरकार ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें नीचे जाने से राज्य को भारी घाटे का सामना करना पड़ेगा। इससे बचने के लिए तेल की कीमतें बढ़ाई जा रही है। इस बढ़ोतरी के बाद असम में पेट्रोल के दाम 71.61 रुपये से बढ़कर 77.46 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 65.07 रुपये से बढ़कर 70.50 रुपये प्रति लीटर हो गए थे।
मेघालय में बढ़ोतरी के बाद ये हैं नई कीमतें
इसी तरह मेघालय ने भी सेल्स टैक्स पर सरचार्ज में बढ़ोतरी का ऐलान किया था। इसके बाद राज्य में पेट्रोल की कीमतें 68 रुपये से बढ़कर 72 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 61 रुपये से बढ़कर 66 रुपये प्रति लीटर हो गई।
"सरकार का राजस्व बढ़ाने के लिए बढ़ाई गई कीमतें"
मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रेस्टोन तियनसोंग ने बताया, "पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने का फैसला सरकार का राजस्व बढ़ाने के लिए किया गया है। हमें पता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार भारी खर्च कर रही है। हमने राजस्व बढ़ाने के लिए यह छोटा कदम उठाया है।" यह बात ध्यान रखने वाली है कि तेल के दामों में यह इजाफा तेल कंपनियों ने नहीं बल्कि राज्य सरकारों ने किया है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद इसलिए बढ़े रहे दाम
भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 प्रतिशत आयात करता है। पेट्रोल पंपों पर तेल की कीमतें विदेशी मुद्रा दरों के साथ वैश्विक बाजार में क्रूड के दामों पर निर्भर करती है। कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में मांग की कमी है जिसका असर तेल की कीमतों पर पड़ा है और इनमें भारी गिरावट देखी गई है। इससे देश में तेल की कीमतें कम होनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। इसकी वजह सरकार द्वारा तेल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाना है।
कोरोना वायरस के कारण देश में घटी ईंधन की खपत
बीते मार्च महीने में देश में ईंधन की खपत में लगभग 18 प्रतिशत की कमी आई थी। यह पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय की सबसे बड़ी गिरावट है। इस महीने डीजल की खपत 24.43 प्रतिशत कम होकर 5.65 मिलियन टन हो गई। यह आज तक देश में डीजल की खपत में हुई सबसे बड़ी कमी है। वहीं लॉकडाउन के कारण मार्च में पेट्रोल की खपत 16.37 प्रतिशत घटकर 2.15 मिलियन टन रह गई थी।