विपक्ष के बहुमत वाली राज्यसभा से भाजपा ने कैसे पास कराया तीन तलाक बिल, जानें
क्या है खबर?
राज्यसभा में विपक्ष का बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार अपने महत्वाकांक्षी तीन तलाक बिल को सदन से पास कराने में सफल रही।
बिल सरकार और विपक्ष के बीच टकराव का एक बड़ा मुद्दा था, इसके बावजूद विपक्ष राज्यसभा में तितर-बितर नजर आया।
इससे पहले सरकार विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद RTI संशोधन बिल को राज्यसभा से पास कराने में कामयाब रही थी।
मोदी सरकार आखिर राज्यसभा की गुत्थी को सुलझाने में कैसे कामयाब रही, आइए आपको बताते हैं।
समस्याएं
सहयोगियों के विरोध ने बढ़ाई थीं भाजपा की मुश्किलें
राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 है और किसी भी बिल को पास कराने के लिए 123 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है।
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा में कुल 78 सांसद हैं, जबकि NDA गठबंधन के सहयोगियों को मिलाकर भी ये संख्या 107 सांसदों तक ही पहुंच जाती है।
उसके सहयोगियों जनता दल (सेक्युलर) और AIADMK के बिल के विरोध में होने के कारण भाजपा के लिए मुसीबतें और बढ़ गई थीं।
नंबर गेम
विपक्षी दलों के सांसदों के अनुपस्थित रहने से आसान हुआ भाजपा का कार्य
आंकड़ों के हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद अगर भाजपा तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराने में कामयाब रही तो इसका एक बड़ा कारण रहा कई विपक्षी सांसदों का सदन में अनुपस्थित रहना।
विपक्षी दलों के कुल 23 सांसद सदन में उपस्थिति नहीं थे।
इनमें कांग्रेस के 4, समाजवादी पार्टी के 6, बहुजन समाज पार्टी के 4, NCP, TDP और PDP के 2-2 और DMK, CPM और TMC के 1-1 विधायक शामिल हैं।
बिल पास
...और ऐसे भाजपा ने पास करा लिया बिल
इसके अलावा वोटिंग के समय JD(U), AIADMK और TRS के कुल 23 सांसद भी राज्यसभा से वॉकआउट कर गए, जिससे केंद्र सरकार के लिए काम आसान हो गया।
5 सीटें खाली होने के कारण राज्यसभा का संख्याबल पहले ही घटकर 240 हो गया था, इसके बाद सांसदों की अनुपस्थिति ने इसे और घटा दिया।
आखिरकार तीन तलाक बिल 99-84 के परिणाम के साथ सदन में पास हो गया।
वोटिंग के दौरान कुल 56 सदस्य अनुपस्थित रहे।
रणनीति
पिछले एक हफ्ते से योजना पर कार्य कर रही थी भाजपा
भाजपा के सूत्रों ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि ये जीत पिछले एक हफ्ते में सावधानीपूर्वक बनाई गई योजना का परिणाम है।
उनके मुताबिक, अपने सभी 78 सदस्यों को उपस्थित रहने का आदेश देने के बाद भाजपा ने सभी सांसदों पर व्यक्तिगत तौर पर नजर दौड़ाई और जिन्हें अनुपस्थित होने के लिए मनाया जा सकता था, उनसे संपर्क साधा।
एक मंत्री ने बताया कि पार्टी योजना पर काम कर रही थी लेकिन इसे सुनिश्चित होने तक इसे छिपाए रखा गया।
लाभ
विपक्षी नेताओं की सुस्ती का भाजपा ने उठाया फायदा
सूत्रों ने कहा कि विपक्षी नेताओं में अति-आत्मविश्वास भाजपा के लिए सबसे बड़ा लाभ सिद्ध हुआ, जिन्होंने ये सुनिश्चित करने की जहमत ही नहीं उठाई कि उनके सभी सदस्य वोटिंग के दौरान उपस्थित रहें।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इस नंबर गेम को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी भूपेंद्र यादव, पीयूष गोयल, धर्मेंद प्रधान और प्रह्लाद जोशी को दी थी।
वोटिंग वाले दिन वी मुरलीधरन ने कॉर्डिनेशन का कार्य संभाला और पार्टी बिल को पास कराने में सफल रही।