#NewsBytesExplainer: क्या है तेलंगाना सरकार की रायथु बंधु योजना और ये विवादों में क्यों है?
चुनाव आयोग ने तेलंगाना सरकार की महत्वाकांक्षी रायथु बंधु योजना पर रोक लगा दी है। तेलंगाना में इसे लेकर काफी विवाद चल रहा था और इसकी शिकायत कांग्रेस ने आयोग से की थी। इस योजना के तहत किसानों के खाते में साल में 2 बार रकम डाली जाती है। इस कदम को सत्तारुढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आइए समझते हैं कि ये पूरा विवाद क्या है।
क्या है रायथु बंधु योजना?
रायथु बंधु योजना के तहत तेलंगाना के सभी किसानों को रबी और खरीफ की फसल के लिए साल में 2 बार प्रति एकड़ 5,000 रुपये दिए जाते हैं। इसका मतलब अगर किसी किसान के पास एक एकड़ जमीन है तो उसे साल में 10,000 रुपये सरकार की ओर से दिए जाते हैं। 2018 में 4,000 राशि के साथ ये योजना शुरू की गई थी और इसे बाद में बढ़ाया गया। करीब 70 लाख किसान इस योजना के लाभार्थी हैं।
अभी क्यों चर्चा में आई रायथु बंधु योजना?
26 नवंबर को तेलंगाना कांग्रेस ने चुनाव आयोग में रायथु बंधु योजना के खिलाफ शिकायत की थी। इस योजना के तहत किसानों के खातों में 28 नवंबर को राशि भेजी जानी थी। कांग्रेस का कहना था कि राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है और ऐसे में किसानों को पैसे दिए जाने से मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा ने भी BRS पर योजना के जरिए आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
आयोग ने योजना पर क्यों लगाई रोक?
दरअसल, पहले चुनाव आयोग ने तेलंगाना सरकार को 28 नवंबर तक योजना के तहत किसानों को पैसा जारी करने की अनुमति दे दी थी, लेकिन इसके चुनावी रैलियों में इसके महिमामंडन और इसके जरिए वोट जुटाने पर रोक लगाई थी। इस रोक के बावजूद वित्त मंत्री टी हरिश राव ने एक सभा में कह दिया कि 28 नवंबर को सुबह के नाश्ते से पहले किसानों के खाते में राशि जमा हो जाएगी। इसी कारण योजना पर रोक लगी है।
BRS का मामले पर क्या कहना है?
BRS ने योजना पर रोक के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है। इसमें उसने कहा है कि मंत्री टी हरीश राव ने योजना का प्रचार नहीं किया, बल्कि उन्होंने केवल अनुमति देने के लिए चुनाव आयोग का शुक्रिया अदा किया था। मामले में आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं। BRS ने आयोग में शिकायत के लिए कांग्रेस और कांग्रेस ने बयानबाजी के कारण योजना पर रोक के लिए BRS को किसान विरोधी बताया है।
क्या है योजना की राजनीतिक अहमियत?
तेलंगाना की करीब 55 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी से जुड़ी है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की सरकार इस योजना को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करती है। 2018 में इस योजना के तहत 58 लाख किसानों को फायदा मिल रहा था, जो अब 70 लाख हो गया है, यानी इससे राज्य के एक बड़े वोटबैंक को साधा जा सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस ने भी इसी तरह की 'रायथु भरोसा योजना' शुरू करने का वादा किया है।
योजना की किन कारणों से होती है आलोचना?
योजना का लाभ सभी किसानों को मिलता है। इस वजह से कहा जाता है कि अमीर किसान और जमींदार भी इसका फायदा उठाते हैं। हालांकि, अगर आप चाहें तो स्वेच्छा से योजना का लाभ लेना छोड़ सकते हैं। एक बड़ा विवाद इस बात को लेकर भी होता है कि योजना का लाभ बंटाईदार किसानों को नहीं मिलता है। इसके जवाब में कांग्रेस ने कहा है कि उसकी रायथु भरोसा योजना का लाभ बंटाईदार किसानों को भी मिलेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
तेलंगाना की सभी 119 सीटों पर 30 नवंबर को मतदान होना है और मतगणना बाकी चुनावी राज्यों के साथ 3 दिसंबर को होगी। यहां भाजपा, कांग्रेस और BRS के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। राज्य में बेरोजगारी, किसानों की समस्या और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। सभी बड़ी पार्टियों की ओर से दिग्गज नेता यहां प्रचार अभियान की कमान संभाले हुए हैं। पिछले चुनावों में BRS ने 88 सीटें जीतकर राव के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।