भारत-अमेरिका के बीच मार्च, 2024 तक पूरा हो सकता है MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन का समझौता- रिपोर्ट
भारत और अमेरिका के बीच MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन को लेकर चल रहा समझौता अगले साल मार्च तक पूरा हो सकता है। इस समझौते को अमेरिकी संसद की ओर से अगले कुछ हफ्तों में मंजूरी मिल सकती है। ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स (GA) से ड्रोन अधिग्रहण के लिए भारत के अनुरोध पत्र (LoR) पर संसद की मुहर के बाद अमेरिका और भारत के अधिकारी खरीद पर अंतिम बातचीत के लिए बैठक करेंगे।
मार्च, 2024 तक सौदे पर लगेगी मुहर
समाचार एजेंसी PTI के सूत्रों के मुताबिक, भारत और अमेरिका ड्रोन की कीमत और अन्य बारीकियों को अंतिम रूप देने और सौदे को पक्का करने के लिए अलग-अलग टीम नियुक्त करेंगे। ये समझौता भारत सरकार और अमेरिकी सरकार के बीच होगा और पेंटागन भारतीय सेना की जरूरतों के बारे में GA को बताएगा। ड्रोन की कीमत अभी तय नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि ये सौदा 3 अरब डॉलर (लगभग 250 अरब रुपये) का होगा।
समझौते में क्या-क्या शामिल है?
इस समझौते की बारीकियों को लेकर अभी कुछ भी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, भारत और अमेरिका के संयुक्त बयान के मुताबिक, इन ड्रोन को भारत में असेंबल किया जाएगा। इसके लिए GA भारत में इनकी मेंटेनेंस, रिपेयर और ऑपरेशन (MRO) के लिए एक केंद्र स्थापित करेगी। कहा जा रहा है कि 31 ड्रोन में से भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना को 8-8 और भारतीय नौसेना को 15 ड्रोन दिए जाएंगे।
क्या हैं प्रीडेटर ड्रोन की विशेषताएं?
MQ-9 प्रीडेटर ड्रोन को अमेरिका की GE ने बनाया है। इसे बिना किसी पायलट के केवल रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ाया जाता है। यह ड्रोन 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है। ये करीब 11,000 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने में सक्षम है। ये अपने साथ 2,100 किलोग्राम वजनी कुल 9 मिसाइल लेकर उड़ान भर सकता है।
समझौते पर कांग्रेस और TMC ने उठाए थे सवाल
कांग्रेस ने ड्रोन की कीमत को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे। पार्टी ने कहा था, "जो राफेल की खरीद में हुआ, वही प्रीडेटर ड्रोन की खरीद में दोहराया जा रहा है। जिस ड्रोन को बाकी देश 4 गुना कम कीमत में खरीदते हैं, उसी ड्रोन को हम 11 करोड़ डॉलर यानी 880 करोड़ रुपये प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीद रहे हैं।" तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता साकेत गोखले ने भी ड्रोन की कीमत को लेकर सवाल उठाए थे।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत और अमेरिका के बीच ड्रोन की खरीद को लेकर जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान सहमति बनी थी। इस दौरान GE और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच लड़ाकू विमान का इंजन बनाने का समझौता भी हुआ था। इसके अलावा भारत ने अमेरिका के आर्टेमिस समझौते से जुड़ने का फैसला भी लिया था। G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जो बाइडन और मोदी की द्विपक्षीय बैठक में भी कई समझौते हुए थे।