10 नवंबर से खुलेगा करतारपुर कॉरिडोर, जानें कहां कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन
कई दौर की बैठक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर के संचालन को लेकर गुरुवार को सहमति बन गई है। पाकिस्तान ने भारत को लंगर और प्रसाद के वितरण के पर्याप्त इंतजाम का भरोसा दिया है। पंजाब स्थित डेरा साहिब नानक को करतारपुर स्थित दरबार साहिब से जोड़ने वाला यह कॉरिडोर 10 नवंबर से खुलेगा। पाकिस्तान इस यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं से 20 डॉलर (लगभग 1400 रुपये) लेगा। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
20 डॉलर की फीस को लेकर दोनों देशों के बीच था विवाद
भारत ने पाकिस्तान से श्रद्धालुओं से 20 डॉलर की फीस न लेने का आग्रह किया था, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर सहमति नहीं दी। पाकिस्तान की तरफ से समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले मोहम्मद फैजल, DG (दक्षिण एशिया और SAARC) ने कहा कि जितना यहां पर खर्च हुआ है, उसकी तुलना में यह फीस काफी कम है। उन्होंने कहा करतारपुर आने वाले श्रद्धालुओं से यह पैसा बतौर सेवा शुल्क लिया जा रहा है।
यात्रा के लिए यहां करें रजिस्ट्रेशन
श्रद्धालुओं को इस यात्रा के लिए ऑनलाइन पोर्टल (prakashpurb550.mha.gov.in) पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। यह पोर्टल गुरुवार से शुरू हो चुका है। आवेदकों के मेल और मैसेज के माध्यम से यात्रा से चार दिन पहले कंफर्मेशन की जानकारी दी जाएगी। यात्रियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल अथॉराइजेशन जनरेट किया जाएगा। पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग पर पहुंचने के समय यात्रियों के पास पासपोर्ट और यह अथॉराइजेशन होना जरूरी है। इस यात्रा के लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी।
सालभर खुला रहेगा कॉरिडोर
हर भारतीय बिना किसी वीजा के इस यात्रा पर जा सकता है। कॉरिडोर पूर्व घोषित दिनों के अलावा साल भर खुला रहेगा। भारतीय विदेश मंत्रालय इस यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की सूची 10 दिन पहले पाकिस्तान को सौंपेगा। रोजाना 5,000 लोग इस कॉरिडोर के जरिए दर्शन के लिए पाकिस्तान के नरोवल जिला स्थित करतारपुर जा सकेंगे। सुबह जाने वाले यात्रियों को शाम को वापस लौटना होगा। प्रधानमंत्री मोदी 8 नवंबर को इसका औपचारिक उद्घाटन करेंगे।
अपने साथ 11,000 रुपये ले जा सकेंगे श्रद्धालु
गृह मंत्रालय ने करतापुर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक, 13 साल से कम उम्र के बच्चों और 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों को समूह में यात्रा करने को कहा गया है। इसके अलावा श्रद्धालु अपने साथ केवल 11,000 रुपये तक भारतीय मुद्रा और सात किलोग्राम तक का बैग ले जा सकते हैं। श्रद्धालु केवल करतारपुर साहिब ही जा सकेंगे, उन्हें इसके बाहर कहीं जाने की इजाजत नहीं होगी।
कॉरिडोर अब बना, इतने दिन कैसे दर्शन करते थे श्रद्धालु?
अब तक भारत की सीमा से चार किलोमीटर दूर करतारपुर साहिब के दर्शन दूरबीन की मदद से होती थी। सीमा सुरक्षा बल (BSF) की निगरानी में श्रद्धालु दूरबीन से सीमा पार मौजूद करतापुर साहिब के दर्शन करते थे।
क्यों खास है करतारपुर साहिब?
सिख धर्म मानने वाले लोगों के लिए करतारपुर साहिब बेहद खास है। माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव 1522 में करतारपुर आए थे। उनकी जिंदगी के आखिरी 18 साल यहीं गुजरे थे। कहा जाता है कि करतारपुर में जिस जगह पर गुरु नानक देव की मौत हुई थी, वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था। पाकिस्तान में मौजूद करतारपुर भारत से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।