अग्निपथ योजना: कई जगहों पर युवाओं का प्रदर्शन, पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी उठाए सवाल
सेना में भर्ती की केंद्र सरकार की 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ देश के कई इलाकों में युवा सड़क पर उतर आए हैं। युवाओं ने सरकार पर उन्हें मूर्ख बनाने का आरोप लगाया है। कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी सरकार की इस योजना पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चार साल की नौकरी से जवानों की लड़ने की भावना कमजोर होगी और ये उनमें खतरा न लेने की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा दे सकती है।
क्या है अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना तीनों सेनाओं, थल सेना, वायुसेना और नौसेना, के लिए एक अखिल भारतीय योग्यता-आधारित भर्ती प्रक्रिया है। इसमें युवाओं को सेना के नियमित कैडर में सेवा करने का मौका दिया जाएगा। इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को 'अग्निवीर' कहा जाएगा। इसके तहत युवाओं को चार साल के लिए सेना में सेवा का अवसर मिलेगा। इसके बाद योग्यता, इच्छा और चिकित्सा फिटनेस के आधार पर 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेवा में बरकरार रखा जाएगा।
स्थायी नौकरी और पेंशन का प्रावधान न होने से युवा आक्रोशित
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले युवा स्थायी नहीं होंगे और न ही उन्हें पेंशन मिलेगी, हालांकि उन्हें चार साल बाद 10-11 लाख की एकमुश्त राशि दी जाएगी। युवाओं में इसी को लेकर आक्रोश देखने को मिल रहा है और बुधवार को वो कई जगहों पर सड़क पर उतर आए। जिन राज्यों के युवाओं ने योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया, उनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान आदि शामिल हैं। बिहार से छिटपुट हिंसा की भी खबर है।
प्रदर्शनकारी युवाओं ने क्या कहा?
योजना के खिलाफ हुए प्रदर्शन में शामिल हुए बिहार के गुलशन कुमार ने NDTV से कहा, "महज चार साल की नौकरी का मतलब है कि हमें दूसरी नौकरी के लिए पढ़ना पड़ेगा और अपनी उम्र के बाकी लोगों से पीछे छूट जाएंगे।" एक अन्य युवा शिवम कुमार ने कहा, "मैं दो साल से दौड़ रहा हूं और खुद को फिजिकली तैयार कर रहा हूं। क्या अब मैं ऐसी नौकरी करूंगा जो केवल चार साल की है?"
पूर्व सैन्य अधिकारियों ने नीति की आलोचना करते हुए दिए सुझाव
पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए सुझाव दिए हैं। मेजर जनरल (रिटायर्ड) बीएस धनोआ ने कहा, "अभी घोषित की गई सैन्य बलों की भर्ती योजना के लिए दो गंभीर सिफारशें: पहली, नए जवानों के सेवा के समय को बढ़ाकर कम से कम सात साल किया जाए। दूसरी, जो नौकरी आगे जारी रखना चाहते हैं, उनके रिटेंशन के प्रतिशत को बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत किया जाए।"
"सैन्य बलों को केवल आर्थिक नजरिए से नहीं देखा जा सकता"
वहीं मेजर जनरल रहे यश मोर ने कहा कि सैन्य बलों को केवल आर्थिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "सैन्य जीवन और करियर की राजकोष में बचाए गए धन से मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।"
विपक्षी पार्टियों ने भी साधा सरकार पर निशाना
विपक्षी पार्टियों ने भी योजना को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, 'जब भारत दो मोर्चों पर खतरों का सामना कर रहा है, तब यह अनावश्यक अग्निपथ योजना हमारे सैन्य बलों की ऑपरेशन क्षमता को कम करेगी। भाजपा सरकार को हमारी सेना की गरिमा, परंपराओं, वीरता और अनुशासन से समझौता करना बंद करना चाहिए।' भाजपा सांसद वरुण गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने भी इसकी आलोचना की है।