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पश्चिम बंगाल ट्रेन हादसा: क्या है 'कवच' सिस्टम, जिसके होने से बच जाती दुर्घटना?
कंचनजंगा एक्सप्रेस सिलीगुड़ी में मालगाड़ी से टकरा गई (तस्वीर: एक्स/@The_Xenos19)

पश्चिम बंगाल ट्रेन हादसा: क्या है 'कवच' सिस्टम, जिसके होने से बच जाती दुर्घटना?

Jun 17, 2024
04:07 pm

क्या है खबर?

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार को एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के पीछे से टक्कर मार दी। इस हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई और 50 यात्री घायल बताए जा रहे हैं। इस बीच सामने आया है कि रेलवे द्वारा ट्रेन हादसों को रोकने के लिए तैयार किया गया 'कवच' (KAVACH) सिस्टम हादसे वाली जगह नहीं था। यदि वह होता तो हादसा बच सकता था। आइए जानते हैं आखिर 'कवच' सिस्टम क्या है।

पहचान

क्या है रेलवे का 'कवच' सिस्टम?

रेलवे का यह 'कवच' सिस्टम अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने तैयार किया है। यह एक स्वेदेशी एंटी प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) है। इस सिस्टम में आपातकालीन स्थिति में ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाते हैं। यदि दो ट्रेनें एक ही लाइन आमने-सामने आ रह है तो भी ट्रेन अपने आप रुक जाती है। इसी तरह सर्दियों में कोहरे के दौरान भी यह सिस्टम कारगर होता है। यह बड़े रेल हादसे रोकने में काफी कारगर है।

काम

कैसे काम करता है 'कवच' सिस्टम?

अगर लोको पायलट भूलवश या किसी तकनीकी खराबी के कारण रेड सिग्नल क्रॉस करता है तो इस स्थिति को खतरे में सिग्नल पास किया गया (SPAD) माना जाता है। ऐसे में पटरियों, सिग्नल और स्टेशन यार्ड में लगाया गया रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) सिस्टम सक्रिय हो जाता है और ट्रेन के ब्रेक अपने आप लगने शुरू हो जाते हैं। इससे ट्रेन की रफ्तार बहुत कम हो जाती है और आपस में टकराने जैसे बड़े हादसे टल जाते हैं।

मौसम

खराब मौसम में काम करता है OBDSA

'कवच' सिस्टम के तहत ट्रेनों में ऑन बोर्ड डिस्प्ले ऑफ सिग्नल एस्पेक्ट (OBDSA) लगाया जाता है। यह खराब मौसम के कारण दृश्यता कम होने पर भी लोको पायलटों को सिग्नल देखने में मदद करता है। आमतौर पर लोको पायलटों को सिग्नल देखने के लिए खिड़की से बाहर देखना पड़ता है। सुरक्षा प्रणाली 'रेड सिग्नल' के करीब पहुंचने पर लोको पायलट को एक सिग्नल भेजती है और सिग्नल को टूटने से बचाने के लिए आवश्यकता पड़ने पर स्वचालित ब्रेक लगाती है।

कार्यरत

भारत में कहां कार्यरत है 'कवच' सिस्टम?

सेंट्रल रेलवे बोर्ड की CEO और चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि 'कवच' सिस्टम 1,500 किमी में लगाया जा चुका है और इस साल 3,000 और किलोमीटर में लगाया जाएगा। इसी तरह अगले साल फिर से 3,000 किलोमीटर में इसे लगाया जाएगा। इस साल की योजना में पश्चिम बंगाल भी शामिल है, लेकिन हादसे वाली जगह पर अभी तक नहीं लग पाया है। उन्होंने बताया कि यह महंगा सिस्टम है, इसलिए इसे चरणबद्ध तरीके से लगाया जा रहा है।

जानकारी

1 लाख किलोमीटर लंबी है भारतीय रेल प्रणाली

सिन्हा ने बताया कि भारतीय रेल प्रणाली करीब 1 लाख किलोमीटर लंबी है। धीरे-धीरे पूरे रेल नेटवर्क पर यह सिस्टम लगा दिया जाएगा। इसके लिए अंतरिम बजट 2024-25 में 557 करोड़ रुपये से अधिक का बजट भी आवंटित किया गया है।

कारण

क्या है हादसे का कारण?

पश्चिम बंगाल में हुए रेल हादसे को लेकर सिन्हा ने बताया कि यह सिग्नल डिसरिगार्ड की गलती है, यानी गाड़ी को सिग्नल पर रुकना था, लेकिन किसी कारण से वह रुक नहीं पाई। इसमें लोको पायलट की गलती हो सकती है या तकनीकी खराबी भी हो सकती है। इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। उन्होंने बताया कि रेलवे इस तरह के हादसों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।