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    उत्तराखंड सरकार के लिए मददगार बने 'घोस्ट विलेज', क्वारंटाइन सेंटर के रूप में आ रहे काम

    उत्तराखंड सरकार के लिए मददगार बने 'घोस्ट विलेज', क्वारंटाइन सेंटर के रूप में आ रहे काम

    लेखन भारत शर्मा
    May 15, 2020
    07:56 pm

    क्या है खबर?

    उत्तरखंड में सालों से वीरान होने के कारण 'घोस्ट विलेज' की श्रेणी में आए पौड़ी जिले के गांव कोरोना संकट के बीच सरकार के लिए मददगार बनकर सामने आए हैं।

    प्रवासी मजदूरों के वापस आने और पौड़ी जिले में क्वारंटाइन सेंटरों की कमी होने के कारण अब सालों से वीरान पड़े गांवों के घरों को क्वारंटाइन सेंटर के रूप में काम लिया जा रहा है।

    ऐसे में इन 'घोस्ट विलेजों' ने सरकार की बड़ी परेशानी को खत्म कर दिया है।

    क्वारंटाइन

    576 प्रवासियों को किया 'घोस्ट विलेज' में क्वारंटाइन

    इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लॉक के विकास अधिकारी (BDO) एसपी थापलियाल ने बताया कि राज्य के बाहर से वापस आने वाले प्रवासी मजदूरों की बढ़ती संख्या को देखकर क्वारंटाइन सेंटर के लिए 'घोस्ट विलेज' का उपयोग किया जा रहा है।

    उन्होंने बताया कि पौड़ी जिले में कुल 186 'घोस्ट विलेज' हैं। ऐसे में वहां अब तक कुल 576 प्रवासियों को 14 दिन के क्वारंटाइन के लिए शिफ्ट किया गया है।

    घोस्ट विलेज

    क्या होते हैं 'घोस्ट विलेज'?

    विकास अधिकारी थापलियाल ने बताया कि बुनियादी सुविधाओं की कमी, गरीबी और रोजगार की कमी के कारण अधिकतर छोटे गांव के लोग खुशहाल जिंदगी और रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं। ऐसे में वो गांव खाली हो जाते हैं।

    सालों से इन गांवों में मानवरहित होने के कारण सरकार इन्हें 'घोस्ट विलेज' की श्रेणी में डाल देती है।

    वर्तमान में यही घोस्ट विलेज सरकार के लिए बड़े काम के साबित हो रहे हैं।

    कारण

    'घोस्ट विलेज' को क्वारंटाइन सेंटर बनाने के पीछे यह बताया कारण

    विकास अधिकारी थापलियाल ने बताया कि 'घोस्ट विलेज' में सालों से कोई भी नहीं रहा है। इन गांवों में खाली पड़े घरों को ठीक कराकर क्वारंटाइन सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है।

    इन गांवों में प्रवासियों को रखने से वह अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आएंगे और यहां से दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा भी कम रहेगा।

    ऐसे में प्रशासन ने इन गांवों को क्वारंटाइन सेंटर के रूप में काम लेने का निर्णय किया है।

    जानकारी

    इन लोगों को किया जा रहा है 'घोस्ट विलेज' में क्वारंटाइन

    विकास अधिकारी थापलियाल ने बताया कि कई प्रवासी सालों बाद अपने गांव लौट रहे हैं। ऐसे में उनके घर या तो गिर गए या जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं। जगह की कमी होने पर ऐसे लोगों को 'घोस्ट विलेज' में शिफ्ट किया जा रहा है।

    प्रवासी मजूदर

    पौड़ी क्षेत्र में अब तक पहुंचे कुल 19,846 प्रवासी मजदूर

    विकास अधिकारी थापलियाल ने बताया कि 13 मई तक पौड़ी जिले की 1,049 ग्राप पंचायतों में कुल 19,846 प्रवासी मजदूर पहुंच चुके हैं।

    इनमें से अधिकतर को सरकारी स्कूल या पंचायत भवनों के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है, लेकिन संख्या अधिक होने पर 'घोस्ट विलेज' में भी भेजा रहा है।

    राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 81 पहुंच गई है। इनमें अब तक 51 मरीज उपचार के बाद ठीक होकर घर जा चुके हैं।

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