रेंटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा- इस साल जीरो प्रतिशत रहेगी भारत की विकास दर
क्या है खबर?
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज की एक रिपोर्ट में मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की GDP विकास दर जीरो प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि अगले साल से ये फिर से पटरी पर आ जाएगी और विकास दर 6.6 प्रतिशत रहेगी।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पहले से ही संकट में चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस के कारण और अधिक दबाव का सामना करना पड़ेगा और उसके क्रेडिट प्रोफाइल कमजोर हो सकती है।
रिपोर्ट
राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर भी भारत को होगा नुकसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर जीरो प्रतिशत रहेगी, लेकिन अगर साल इसमें सुधार आएगा और 2021-22 में देश की विकास दर 6.6 प्रतिशत रहेगी।
विकास दर जीरो रहने के अलावा राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर भी भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट में भारत का राजकोषीय घाटा अनुमानित 3.5 प्रतिशत के बजाय GDP का 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
नेगेटिव रेटिंग
भारत की नेगेटिव रेटिंग में सुधार की भी संभावना नहीं
रिपोर्ट में इस बात के संकेत भी दिए गए हैं कि फिलहाल भारत की 'Baa2 नेगेटिव' रेटिंग में सुधार की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। Baa2 नेगेटिव दूसरी सबसे नीची निवेश रेटिंग है।
बता दें कि मूडीज ने पिछले साल नवंबर में ही भारत की रेटिंग को 'स्थिर' से घटाकर 'नकारात्मक' किया था। एजेंसी ने भारत की कमजोर विकास दर को इसका कारण बताया था।
कोरोना के कारण भारत की क्रेडिट प्रोफाइल पर भी दबाव बढ़ सकता है।
रिपोर्ट
अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने की संभावना बढ़ी- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है, "नेगेटिव आउटलुक से साफ है कि आर्थिक गतिविधियां काफी कमजोर हो चुकी हैं। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लॉकडाउन है और कामकाज रुका हुआ है जिससे संस्थागत कमजोरी बढ़ गई है। इससे कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है।"
मूडीज के अनुसार, ग्रामीण परिवारों के बीच लंबे समय से कायम वित्तीय तनाव, कमजोर रोजगान सृजन और गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों के ऋण संकट ने अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने की संभावना को बढ़ा दिया है।
चुनौतियां
मूडीज ने कहा- विकास दर अच्छी नहीं हुई तो सरकार को होगी दिक्कत
मूडीज ने कहा कि है कि अगर नोमिनल GDP विकास दर वापस अच्छी नहीं होती तो सरकार को बजट के घाटे को कम करने और कर्ज के बोझ को बढ़ने से रोकने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
रिपोर्ट में लिखा है कि विकास और सरकारी राजस्व में कमी और कोरोना वायरस संबंधी पैकेजों के कारण सरकार के कर्ज का अनुपात बढ़ेगा जो अगले कुछ सालों में GDP के लगभग 81 प्रतिशत के बराबर हो सकता है।
जानकारी
कोरोना वायरस के कारण बंद पड़ी है ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां
बता दें कि कोरोना वायरस के कारण भारत में लॉकडाउन लगा हुआ है जिसके कारण ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां बंद पड़ी हैं। हालांकि लॉकडाउन में कुछ ढील देकर अर्थव्यस्था को धीरे-धीरे पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।