अहमदाबाद: सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड से गायब कैंसर मरीज का शव मुर्दाघर में मिला
देश में फैली कोरोना वायरस महामारी के बीच गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। गत दिनों यहां उपचार के लिए पहुंचे कैंसर मरीज की कोरोना जांच कराने और उसे भर्ती करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उसके परिजनों को कोई जानकारी नहीं दी। तीन दिन बाद मरीज की मौत हो गई और उसके शव को मुर्दाघर में रखवा दिया, लेकिन अस्पताल के रिकॉर्ड में इसका कोई उल्लेख नहीं है।
कैंसर के इलाज के लिए कराया गया था भर्ती
पोरबंदर निवासी 55 वर्षीय मृतक के बेटे ने बताया कि उसके पिता गले के कैंसर से पीडि़त थे। गत 4 मई को वह अपने पिता को लेकर सिविल अस्पताल गया था। वहां उनकी कोरोना की जांच के लिए कोरोना वार्ड में भेज दिया गया और नमूना लेने के बाद ICU वार्ड में शिफ्ट कर दिया। उससे कहा गया था कि रिपोर्ट आने के बाद उसे सूचना दी जाएगी, लेकिन मंगलवार तक उसे कोई सूचना नहीं दी गई।
अस्पताल रिकॉर्ड में नहीं था मृतक का कोई रिकॉर्ड
मृतक के बेटे ने बताया कि वह नियमित रूप से अस्पताल जाता और अपना नंबर देकर आता था, लेकिन उसे फोन नहीं आया। शनिवार को उसने अस्पताल के रिकॉर्ड में अपने पिता की जांच की तो वहां उनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। उसके पिता के कांग्रेस कार्यकर्ता होने के कारण उसने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया से मदद मांगी। इसके बाद जब जांच की तो अस्पताल प्रशासन ने उसे पिता के अन्य वार्ड में भर्ती होने की जानकारी दी।
वार्ड की जगह मुर्दाघर में मिला शव
कांग्रेस नेता मोढवाडिया ने बताया कि कर्मचारियों की सूचना पर जब वार्ड की जांच की तो उसके पिता वहां भी नहीं मिले। बाद में उनका शव मुर्दाघर में मिला। वहां पता चला कि कैंसर पीडि़त की मौत आठ मई को ही हो गई थी। इसके बाद भी उसके बेटे को कोई सूचना नहीं दी गई। यह घटना अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर कर रही है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों से मुलाकात की जाएगी।
बेटे ने लगाया दबाव बनाने पर उसके पिता को खोजने का आरोप
मृतक के बेटे ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन पर उसके पिता जानकारी को लेकर बनाए गए दबाव के बाद उन्हें खोजा गया है। उसके पिता की मौत होने के पांच दिन बाद तक भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। यह गंभीर लापरवाही है।
स्पेशल ड्यूटी अधिकारी ने कही फोन नहीं मिलने की बात
मामले में हंगामा होने के बाद अस्पताल के स्पेशल ड्यूटी अधिकारी एमएम प्रभाकर ने मामले में अस्पताल प्रशासन का बचाव करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मरीज कैंसर से पीडि़त था। उपचार के दौरान गत 8 मई को उसकी मौत हो गई थीं। इसके बाद उसके बेटे को फोन कर सूचना देने का प्रयास किया, लेकिन उसके द्वारा दिया गया नंबर नहीं लग रहा था। कोरोना मरीजों को देखते हुए शव को मुर्दाघर में रखवा दिया था।