अमेरिका: H-1B वीजा नियमों से जुड़े बदलाव आज से हुए लागू, भारतीयों पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले H-1B वीजा काफी चर्चाओं में हैं।
बीते कई दिनों से इस वीजा कार्यक्रम में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं, जो आज यानी 17 जनवरी से लागू हो रहे हैं। अमेरिका का कहना है कि इन बदलावों का उद्देश्य अमेरिका में विदेशी प्रतिभाओं की भर्ती में निष्पक्षता, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करना है।
आइए जानते हैं बदलावों का भारतीयों पर क्या असर होगा।
परिभाषा
विशेषज्ञ पेशे की परिभाषा बदली गई
H-1B वीजा कार्यक्रम में अब विशेषज्ञता वाले कार्य की परिभाषा संशोधित की गई है।
अब 'डिग्री का सीधा संबंध' बनाए रखने की अर्हता को 'तार्किक संबंध' के रूप में परिभाषित किया गया है। इसका मतलब है कि पदों को भरने के लिए स्नातक डिग्री की जरूरी होगी, लेकिन कुछ मामलों में इसमें छूट भी दी जा सकती है।
अगर योग्यता नौकरी से संबंधित है तो बिना विशेषज्ञ डिग्री भी आवेदनकर्ताओं को प्राथमिकता दी जा सकती है।
F-1
F-1 से H-1B वीजा में बदलाव प्रक्रिया आसान हुई
जो छात्र F-1 वीजा से H-1B वीजा प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए भी नियमों में बदलाव हुए हैं।
होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) के मुताबिक, जिनका H-1B वीजा का आवेदन लंबित हैं, ऐसे छात्रों का F-1 वीजा खुद-ब-खुद 1 अप्रैल, 2025 तक बढ़ा दिया जाएगा।
इससे उनके कानूनी स्थिति और रोजगार में बाधा नहीं आएगी और F-1 वीजा वाले छात्रों को H-1B में जाने पर कम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
शोध
शोधार्थियों से जुड़े ये नियम भी बदले
गैर-लाभकारी और सरकारी शोध संगठन भी H-1B वीजा कैप से छूट के पात्र होंगे, भले ही उनका मुख्य काम शोध न हो।
ऐसे शोधार्थी, जो सीधे योग्य संगठन द्वारा नियोजित नहीं हैं, लेकिन अपना आधा समय संगठन के उद्देश्यों में लगाते हैं, उन्हें भी छूट मिलेगी।
पुराने नियमों में ऐसे संगठनों को अनुसंधान से 'प्राथमिक तौर पर जुड़े हुए' संगठनों के रूप में परिभाषित किया गया था। अब अनुसंधान को इन संगठनों की 'मौलिक गतिविधि' बताया गया है।
बदलाव
ये बदलाव भी हुए
H-1B वीजा के लिए याचिका दायर करने वाली कंपनियों को साबित करना होगा कि वैध 'विशेषज्ञता वाला कार्य' है। प्रशासन ऐसी नौकरी की प्रमाणिकता की पुष्टि करने के लिए कागजात मांग सकेगा।
कंपनियां अपनी खास जरूरतों के हिसाब से H-1B कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेंगी।
राज्य नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) वीजा आवेदनों को निपटाने में तेजी लाएगा।
आज से नया फॉर्म I-129 जरूरी होगा। कंपनी में ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले उद्यमी खुद वीजा के लिए आवेदन कर सकेंगे।
असर
भारतीयों पर क्या होगा असर?
अमेरिका हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी करता है। इनमें से 20,000 छात्रों को दिए जाते हैं।
H-1B वीजा पाने वालों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं। USCIS के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक 3.86 लाख H-1B वीजा जारी किए गए थे। इनमें नए और नवीनीकरण दोनों के आंकड़े शामिल हैं। इनमें से 72 प्रतिशत भारतीयों को दिए गए।
ऐसे में इन बदलावों का भारतीयों पर असर पड़ना तय है।
वीजा
क्या होता है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा होता है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां दक्ष कर्मचारियों को अपने यहां नौकरियां देती हैं।
आमतौर पर इन व्यव्सायों के लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता वाले लोगों की जरूरत होती है।
हर साल अमेरिकी कंपनियां इसी वीजा के सहारे भारत और चीन समेत कई देशों से हजारों पेशेवरों को नौकरी पर रखती हैं।
ये वीजा 3 साल के लिए जारी किया जाता है और इसे अगले 3 साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।