उर्दू लेखक मुजतबा हुसैन वापस करेंगे पद्मश्री, कहा- देश में हंसने का माहौल नहीं
क्या है खबर?
नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच उर्दू लेखक, हास्य और व्यंग्यकार मुजतबा हुसैन ने अपना पद्मश्री सम्मान वापस लौटाने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि देश में हंसने के हालात नहीं है। हैदराबाद में रहने वाले 87 वर्षीय हुसैन ने अभी तक 25 किताबें लिखी हैं।
उर्दू साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें 2007 में देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दिया गया था।
आइये पूरी खबर जानते हैं।
बयान
लोकतांत्रिक व्यवस्था बर्बाद की जा रही- हुसैन
हुसैन ने कहा, "मैं 87 साल का हूं। मैं इस देश के भविष्य को लेकर अधिक चिंतित हूं। मैं इस देश की प्रकृति के बारे में चिंतित हूं जिसे मैं अपने बच्चों और अगली पीढ़ी के लिए छोड़ता हूं।"
उन्होंने आरोप लगाया कि लोकतंत्र खतरे में है। गांधीजी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और आंबेडकर द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्था बर्बाद की जा रही है। लोगों की आवाज दबाई जा रही है और उन्हें मारा जा रहा है।
चिंता
आज के दौर में हंसना मुश्किल- हुसैन
हुसैन ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, "मैं अपने पूरे जीवन व्यंग्यकार रहा हूं, लेकिन मुझे लगता है आज के दौर में हंसना मुश्किल हो गया। मैं हंसने की स्थिति में नहीं हूं। गरीब लोगों की मुस्कान छीन ली गई है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। मैं देख रहा हूं कि आम लोग त्रस्त हैं। हर कोई त्रस्त हैं। मैं हंस नहीं सकता।"
उन्होंने कहा कि पुराना दौर आज के दौर की तुलना में बेहतर था।
बयान
भाजपा नहीं, राजनीति में आई गिरावट जिम्मेदार
हुसैन ने कहा कि मौजूदा स्थिति के लिए वह केंद्र में सरकार चला रही भारत भाजपा को जिम्मेदार नहीं मानते हैं, बल्कि इसके लिए राजनीति के स्तर में आई गिरावट जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि राजनेता कभी महान व्यक्ति हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकार को राजनेता नहीं चला रहे हैं। गुंडाराज व्याप्त है। आम लोग चिंतित हैं। वे मर रहे हैं और उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं है।
जानकारी
लोकतांत्रिक मूल्य नष्ट हो रहे- हुसैन
हुसैन ने कहा कि आज जिस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों के नष्ट किया जा रहा है, उसके मुकाबले बाबरी मस्जिद को विध्वंस कुछ नहीं है। जिस शांत तरीके और तेजी से यह किया जा रहा है, वह दुखद है।
CAA विरोध
कानून के विरोध में देशभर में हो रहे प्रदर्शन
नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। अलग-अलग यूनिवर्सिटीज के छात्र बढ़-चढ़कर प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं।
असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दल भी कानून का विरोध कर रहे हैं।
असम में पुलिस ने प्रदर्शनों को काबू करने के लिए गोलियां चलाई, जिसमें कई लोगों की मौत होने की खबरें हैं।
वहीं, जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हुई पुलिस की बर्बरता का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।