गलवान घाटी: पुल बना रहे दो भारतीय जवानों की नदी में डूबकर मौत
लद्दाख की गलवान घाटी में नदी में डूबकर दो भारतीय जवानों की मौत हो गई। मामले पर अभी तक सेना की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन मौतों का इलाके में चल रहे तनाव से कोई संबंध नहीं है। जवानों के परिजनों के अनुसार, वे पुल बनाने में लगी एक टीम का हिस्सा थे और नाव पलटने से संबंधित एक घटना में उनकी मौत हुई। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया।
मालेगांव और पटियाला के रहने वाले थे जवान
शहीद हुए जवानों में महाराष्ट्र के मालेगांव के नायक सचिन मोरे (37) और पंजाब के पटियाला के लांस नायक सलीम खान (23) शामिल हैं। 'इंडियन एक्सप्रेस' के सूत्रों ने गुरूवार को उनकी मौत की बात कही है, वहीं सलीम के परिजनों को कहना है कि उन्हें शुक्रवार को उनकी मौत के बारे में सूचित किया गया। सूत्रों ने गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच बढ़े तनाव का इन मौतों से कोई भी संबंध होने से इनकार किया है।
अन्य जवानों को बचाने नदी में कूदे थे सचिन
सलीम के चाचा बुद्धीन खान ने बताया, "हमें बताया गया है कि एक पुल बनाया जा रहा था और सलीम उस टीम का हिस्सा थे। वह एक नाव में थे जो पलट गई और उनकी मौत हो गई।" सचिन के परिजनों का कहना है कि वह अन्य दो जवानों को बचाने के लिए नदी में कूदे थे और वह उन्हें बचाने में कामयाब भी रहे, लेकिन एक पत्थर से सिर लगने के कारण उन्हें खुद जानलेवा चोट लग गई।
सचिन के पिता की 10 दिन पहले हुई थी उनसे बात
सचिन मोरे के पिता विक्रम मोरे ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि उनकी 10 दिन पहले सचिन से बात हुई थी। उन्होंने कहा, "सचिन ने मुझे बताया था कि गलवान घाटी में स्थिति गंभीर है। उसने मुझे भरोसा दिया कि वह ठीक है और मुझे चिंता नहीं करनी चाहिए।" सचिन के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। बच्चों में एक नवजात शिशु भी शामिल है।
गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद हुए थे 20 भारतीय जवान
बता दें कि इससे पहले 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों शहीद हो गए थे। यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई जब भारतीय सैनिक भारतीय सीमा की तरफ चीनी सैनिकों द्वारा लगाए टेंट को हटाने गए थे। इसी दौरान चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया और कुछ सैनिकों को नीचे धकेल दिया। घटना में बड़ी संख्या में चीनी सैनिक मारे जाने की खबरें भी आई थीं।
परिवार का एकमात्र सहारा थे सलीम
वहीं सलीम की मां नसीमा बेगम ने दो दिन पहले उनसे बात की थी। उन्होंने बताया, "उसने कहा था कि वह जल्द ही घर आएगा। उसने कभी भी वहां की स्थिति की जानकारी नहीं दी। उसने कहा कि फोन कनेक्टिविटी के साथ कोई समस्या हो सकती है और अगर वह फोन न करें तो मैं चिंता न करूं। वह मेरा एकमात्र सहारा था।" 2014 में सेना से जुड़ने वाले सलीम के परिवार में उनकी मां और दो भाई-बहन हैं।