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करगिल में शुरू हुआ इंटरनेट, अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद से लगी हुई थी पाबंदी

करगिल में शुरू हुआ इंटरनेट, अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद से लगी हुई थी पाबंदी

Dec 27, 2019
03:05 pm

क्या है खबर?

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के करगिल में 145 दिनों के बाद इंटरनेट शुरू कर दिया गया है। 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्धाख, में बांटने के फैसले के बाद से ही इलाके में इंटरनेट बंद था। इस बंटवारे में करगिल लद्धाख के हिस्से में आया था। अधिकारियों के अनुसार, अब वहां स्थिति सामान्य है और इसलिए इंटरनेट पर लगी पाबंदी को हटा लिया गया है।

जानकारी

अधिकारियों ने कहा, चार महीने में नहीं हुई कोई अप्रिय घटना

इंटरनेट सेवाएं शुरू होने की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि करगिल में पिछले चार महीनों में कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई है और स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। इलाके में ब्रॉडबैंड सेवाओं को पहले ही शुरू किया जा चुका है।

पृष्ठभूमि

5 अगस्त को राज्य के बंटवारे का बिल लेकर आई थी केंद्र सरकार

बता दें कि 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 में बदलाव किए थे और इन बदलावों के जरिए राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को भी संसद में पेश किया गया था जिसमें जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में बांटने का प्रावधान था। संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये अधिनियम बना।

इंटरनेट

कश्मीर में अभी भी बंद है इंटरनेट

5 अगस्त को इस ऐतिहासिक फैसले से पहले पूरे जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियां लगाईं थीं जिनमें इंटरनेट, टीवी सेवाओं और आवागमन पर रोक आदि भी शामिल थीं। धीरे-धीरे चरणों में इन पाबंदियों को हटाया गया। जम्मू और लद्धाख के कई इलाकों में इंटरनेट पर लगी पाबंदियों को भी हटा दिया गया। लेकिन कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी अभी भी बरकार है और इसे लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

हिरासत

कश्मीरी नेता अभी भी हिरासत में

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते समय जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं को हिरासत में भी लिया गया था। बाद में जम्मू के नेताओं को तो रिहा कर दिया गया, लेकिन कश्मीरी नेता अभी भी हिरासत में हैं। इन नेताओं में राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं। सरकार पर फारूक अब्दुल्ला को अवैध हिरासत में रखने का आरोप है और इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।