मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री को सलाह- अपने बयानों से चीन के षडयंत्र को बल न दें
क्या है खबर?
लद्दाख में चीन के साथ संघर्ष पर बयान जारी करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शब्दों का चयन करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री को ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जिससे चीन का पक्ष मजबूत हो।
अपने बयान में मनमोहन ने सरकार पर निशाना साधते हुए ये भी कहा है कि भ्रामक प्रचार और झूठ से सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता है।
बयान
व्यर्थ नहीं जाना चाहिए शहीदों का बलिदान- मनमोहन सिंह
अपने बयान में मनमोहन सिंह ने लिखा है, "15-16 जून को गलवान घाटी में भारत के 20 साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी। इन बहादुर सैनिकों ने साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च त्याग के लिए हम इन साहसी सैनिकों और उनके परिवारों के कृतज्ञ हैं। लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।"
सलाह
"अपने शब्दों के प्रभाव को लेकर सावधान रहे प्रधानमंत्री"
मनमोहन ने आगे लिखा है, "आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय और सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों द्वारा देश की सुरक्षा और सामरिक तथा भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए।"
बयान
अपने बयानों से चीन के षडयंत्रकारी रुख को बल न दें प्रधानमंत्री- मनमोहन
चीन के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए मनमोहन ने लिखा है, "चीन ने अप्रैल, 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान घाटी और पैंगोंग शो लेक में अनेकों बार जबरन घुसपैठ की है। हम न तो उनकी धमकियों और दबाव के सामने झुकेंगे और न ही अपनी अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए।"
उन्होंने सरकार को परस्पर सहमति से काम करने की सलाह दी।
सरकार पर निशाना
मनमोहन बोले- भ्रामक प्रचार कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं
मनमोहन ने कहा है कि यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और संगठित होकर चीनी दुस्साहस का जवाब देना है।
उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता और पिछलग्गू सहयोगियों के प्रचारित झूठ के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता।
उन्होंने प्रधानमंत्री से कर्नल बी संतोष बाबू और अन्य सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरने को कहा।
बयान
चुनौतियों पर खरी नहीं उतरी सरकार तो होगा ऐतिहासिक विश्वासघात- मनमोहन
मनमोहन सिंह ने अपने पत्र के अंत में कहा है कि अगर केंद्र सरकार वक्त की चुनौतियों का सामना करने और शहीद सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरने में नाकाम रहती है तो ये जनादेश के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।
विवाद
प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर है विवाद
बता दें कि अपने बयान में मनमोहन सिंह का इशारा सर्वदलीय बैठक के दौरान दिए गए प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान की तरफ था जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी (चीन) भारत की सीमा के अंदर नहीं आया है और ना ही भारत की किसी पोस्ट पर कब्जा किया गया है।
उनके इस बयान पर कई विशेषज्ञों और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे और कहा था कि ऐसा करके प्रधानमंत्री चीन की घुसपैठ को वैध करार दे रहे हैं।
प्रभाव
चीनी अधिकारियों ने अपना पक्ष सही साबित करने के लिए दिया प्रधानमंत्री के बयान का हवाला
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद से चीनी सरकार के कई अधिकारी अपना पक्ष सही साबित करने के लिए उनके बयान का हवाला दे चुके हैं। चीन शुरू से कह रहा है कि भारतीय सैनिकों ने उसकी सीमा में घुसकर चीनी सैनिकों पर हमला किया और अब प्रधानमंत्री मोदी के बयान के आधार पर चीन कह रहा है कि उसका ये दावा सही था।
हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय प्रधानमंत्री के बयान पर सफाई जारी कर विवाद को गैरजरूरी बता चुका है।