
झारखंड: कोर्ट ने 27 दिन के अंदर सुनाई गैंगरेप-हत्या के तीन दोषियों को फांसी की सजा
क्या है खबर?
कहते हैं कि यदि पुलिस चाहे तो कोई भी अपराधी उसके पंजो से ज्यादा देर तक बच नहीं सकता है। पुलिस की इसी सक्रियता का परिणाम झारखंड के दुमका में गत 5 फरवरी को छह साल की मासूम से गैंगरेप और हत्या के मामले में सामने आया है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई के दम पर कोर्ट ने महज 27 दिन में वारदात के तीन दोषियों को फांसी की सजा सुना दी। झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
प्रकरण
अपराधियों ने मेले में से किया था मासूम का अपहरण
5 फरवरी को मासूम मेला देखने के लिए ननिहाल आई थी। शाम को उसका रिश्ते का चाचा मिठू राय उसे मेला दिखाने के बहाने अपने साथ ले गया।
इस दौरान तीनों अपराधियों ने उससे सामूहिक दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौनाचार किया। बच्ची घर में जाकर परिजनों को न बता दें, इसलिए गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। फिर तीनों ने बच्ची का शव झाड़ियों के बीच दफना दिया।
परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने 7 फरवरी को शव बरामद किया था।
फरार
पुलिस के शक होने पर फरार हो गया था मुख्य दोषी मिठू
मामले में मिठू के मोबाइल की लोकेशन घटना के दिन घटनास्थल पर मिलने के कारण पुलिस को उस पर शक हो गया। इसका पता लगते ही मिठू गांव छोड़कर मुंबई फरार हो गया।
पुलिस ने सभी राज्यों की पुलिस से उसकी गिरफ्तारी के लिए सहयोग मांगा। इस पर मुंबई की ठाणे पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
बाद में दुमका पुलिस ने मुंबई पहुंचकर उसे गिरफ्तार किया और अपने साथ ले आई। उसके बाद मामले की जांच आगे बढ़ी।
सजा
इन धाराओं के तहत सुनाई गई सजा
दुमका पॉस्को कोर्ट के प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश तौफीकुल हसन ने गैंगरेप और हत्या के मामले में तीनों अभियुक्तों मीठू राय, पंकज मोहली और अशोक राय को भारतीय दंड सहिंता की धारा 366, 376A, 376D, 302, 201/34 के तहत अपहरण, गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया।
अभियोजन पक्ष ने तीनों को फांसी की सजा देने की मांग की थी। इस पर मंगलवार को कोर्ट ने भी सहमति जताते हुए तीनों को फांसी की सजा सुना दी।
सुनवाई
कोर्ट ने लगातार चार दिन की मामले की सुनवाई
पॉस्को कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लगातार चार दिन तक सुनवाई की।
हालत यह रही कि सोमवार सुबह 11 बजे शुरू हुई अदालत की कार्रवाई रात करीब 10:35 बजे तक चलती रही और फिर न्यायाधीश ने तीनों को अपराधी करार देते हुए सजा के लिए मंगलवार का दिन मुकर्रर किया।
मामले में अदालत ने 16 लोगों की गवाही को प्रमुख आधार माना है। ऐसे में महज 27 दिनों में मासूम के परिजनों को न्याय मिल गया।
जानकारी
पुलिस टीम को पुरस्कृत करने की मांग
दुमका पुलिस अधीक्षक वाईएस रमेश ने मामले में दिन रात एक कर दोषियों को गिरफ्तार करने, सबूत जमा करने और न्यायालय में समय पर गवाही कराने वाली पुलिस टीम की तारीफों के पुल बांधते हुए उन्हें पुरस्कृत कराने की मांग की है।
प्रमुख गवाह
प्रकरण में इन गवाह व सबूतों की रही अहम भूमिका
पूरे मामले में पुलिस उप अधीक्षक श्रीराम समद सहित तीन पुलिसकर्मी, जांच अधिकारी राजीव प्रकाश, टेक्नीशियन अमित कुमार और रांची फोरेंसिक लैब कर्मी बैद्यनाथ बेसरा की गवाही अहम साबित हुई।
इसके अलावा रांची FSL टीम के प्रमुख ज्वाला कुमार नंद की ओर से अदालत में पेश किए गए पांच सील बंद पैकेट और अभियुक्त और बालिका के कपड़ों पर मौजूद सीमेन और रक्त के नमूने का DNA मिलान की रिपोर्ट की अहम भूमिका रही है।
घटनाक्रम
ऐसे चला पूरे मामले का घटनाक्रम
5 फरवरी को वारदात।
7 फरवरी को पुलिस ने शव बरामद किया।
11 फरवरी को पुलिस ने मिठू को मुंबई से गिरफ्तार किया। उसी दिन अन्य दोषी भी दबोचे।
12 फरवरी को अभियुक्त अदालत में पेश।
26 फरवरी को आरोप पत्र दाखिल किया और 27 को आरोप गठित।
28-29 फरवरी को 10 गवाहों के बयान।
2 मार्च को छह गवाहों का परीक्षण कर अभियुक्तों के बयान कलमबंद किए।
3 मार्च को अदालत ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।