बालाकोट एयरस्ट्राइक: कैसे बनी थी पुलवामा हमले का बदला लेने की योजना?
क्या है खबर?
पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले को एक साल बीत चुका है।
14 फरवरी, 2019 को हुए इस हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। पूरा देश आज इन शहीदों के बलिदान को याद कर रहा है।
इस हमले का बदला लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने एयरस्ट्राइक की थी। इसमें वायुसेना के जहाजों से आतंकी हमलों पर बम बरसाए गये थे।
आइये, जानते हैं कि एयरस्ट्राइक की योजना कैसे बनी और कैसे इसे अंजाम दिया गया।
एयरस्ट्राइक
एक तरफ विदाई समारोह, दूसरी तरफ तैयारियां
25 फरवरी, 2019 को भारतीय वायुसेना की वेस्टर्न कमांड के चीफ एयर मार्शल सी हरि कुमार रिटायर हो रहे थे।
उनके सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ समेत 80 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे।
यह वायुसेना के लिए एक सामान्य समारोह की तरह था। वहां मौजूद ज्यादातर अधिकारियों को नहीं पता था कि अगले कुछ घंटों में एयरस्ट्राइक के जरिए नया इतिहास लिखा जाने वाला है।
परमिशन
पुलवामा हमले से अगले दिन मिली थी एयरस्ट्राइक की इजाजत
एक तरफ विदाई समारोह में अधिकारियों के बीच मंत्रणा चल रही थी, दूसरी तरफ देश के जांबाज पायलट वायुसेना इतिहास में एक गौरवशाली पन्ना जोड़ने की तैयारी कर रहे थे।
दरअसल, पुलवामा हमले से अगले ही दिन सरकार ने वायुसेना को एयरस्ट्राइक की इजाजत दे दी थी।
वायुसेना को आतंकी ठिकाने चुनने और एयरस्ट्राइक की तैयारी करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया था।
शुरुआत से लेकर अंत तक इस पूरे अभियान को बेहद गोपनीय रखा था।
जानकारी
"पाकिस्तान को नहीं थी एयरस्ट्राइक की उम्मीद"
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, "पाकिस्तान को उम्मीद थी कि भारत सर्जिकल स्ट्राइक करेगा। उसने कभी नहीं सोचा नहीं था कि भारत एयरस्ट्राइक करेगा। इसलिए हमने यह रास्ता चुना ताकि उन्हें चौंकाया जा सके।"
तैयारी
वायुसेना के विकल्पों में शीर्ष में था बालाकोट कैंप
अगले कुछ दिनों तक वायुसेना ने खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर विकल्प तैयार किए और 21 फरवरी को इन्हें सरकार के सामने पेश किया।
इन विकल्पों में सबसे पहला निशाना बालाकोट की जाबा चोटी पर बना जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी कैंप था।
वायुसेना ने इसे इसलिए चुना था क्योंकि यह दूसरे कैंपों से अलग था और यहां से जवाबी कार्रवाई की संभावना सबसे कम थी।
खुफिया जानकारी से पता चला था कि कैंप में 300 आतंकी मौजूद थे।
तैयारी
पाकिस्तान को चकमा देने के लिए तैयार की गई रणनीति
एयरस्ट्राइक को अंजाम देने वाले पायलटों को मिशन के बारे में दो दिन पहले बताया गया।
एक अधिकारी ने बताया, "मिशन के बारे में पाकिस्तान को चकमा देना भी जरूरी था। पाकिस्तान को यह यकीन दिलाना था कि हम 1 और 2 नंबर ठिकाने को निशाना बनाएंगे, जबकि असल में हम तैयारी 3 नंबर ठिकाने को निशाना बनाने की कर रहे थे।"
एयरस्ट्राइक को अंजाम देने के लिए कुल 20 मिराज-2000 और सुखोई-30 विमानों को चुना गया था।
एयरस्ट्राइक
पहले दस्ते ने राजस्थान सेक्टर की तरफ भरी उड़ान
26 फरवरी की सुबह इन विमानों ने तीन अलग-अलग फॉर्मेशन में उड़ान भरी।
सुखोई-30 विमानों ने राजस्थान सेक्टर की तरफ उड़ान भरी ताकि पाकिस्तान को यह लगे कि भारतीय वायुसेना बहावलपुर में जैश के हेडक्वार्टर को निशाना बनाएगी।
जैसे ही पाकिस्तान को लगा कि भारतीय वायुसेना के विमान बहावलपुर की तरफ आ रहे है, उसने अपने सरगोढ़ा के मुशाफ एयरबेस से F-16 विमानों को उड़ान के लिए तैयार रहने को कहा, लेकिन भारतीय वायुसेना का असली निशाना बहावलपुर नहीं था।
एयरस्ट्राइक
तीसरे दस्ते ने की थी एयरस्ट्राइक
भारतीय विमानों के दूसरे दस्ते ने उस रूट पर उड़ान भरी जो सियालकोट और लाहौर की तरफ जाता है। इससे पाकिस्तान की उलझन और बढ़ गई।
पाकिस्तान अभी इन दोनों विमान दस्तों के बारे में अंदाजा लगा ही रहा था कि छह मिराज-2000 विमानों का दस्ता बालाकोट के आतंकी कैंपों को निशाना बनाने के लिये आगे बढ़ चुका था।
इन विमानों ने इजरायल में बने पांच स्पाइस-2000 बमों के जरिए बालाकोट में तीन ठिकानों को तहस-नहस कर दिया।
जानकारी
क्या है स्पाइस-2000 बम की खासियत?
स्पाइस-2000 की खास बात यह है कि ये छत को छेदते हुए जमीन पर गिरते हैं और वहां नुकसान पहुंचाते हैं। हर बम में 900 किलो स्टील के केस में 80 किलोग्राम विस्फोटक भरा हुआ था।