कासगंज पुलिस हिरासत में मौत: HC ने कब्र से शव निकालकर दोबारा पोस्टमार्टम का आदेश दिया
उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवक अल्ताफ की मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अल्ताफ के शव को कब्र से निकालकर दोबारा उसका पोस्टमार्टम होना चाहिए। यह पोस्टमार्टम दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टर करेंगे। बता दें कि अल्ताफ की मौत के मामले में न्यायिक और विभागीय जांच भी साथ-साथ चल रही है।
पिछले साल नवंबर का है मामला
यह मामला पिछले साल नवंबर का है, जब अल्ताफ को एक लड़की को भगाने के आरोप में पुलिस स्टेशन लाया गया था। यहां पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने दावा किया वह शौचालय गया था और वहां उसने टोंटी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, जबकि परिजन इसे हत्या बता रहे थे। यह टोंटी जमीन से 2-3 फीट ही ऊंची है। ऐसे में पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल खड़े हुए थे।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
गुरुवार को फैसला सुनाते हुए जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और दीपक वर्मा की बेंच ने कहा कि अल्ताफ का दूसरा पोस्टमार्टम होना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में मृतक का शव कब्र से बाहर निकाला जाना चाहिए। इसके बाद इसे सील कर दिल्ली स्थित AIIMS भेजना होगा, जहां अस्पताल के निदेशक की तरफ से गठित की गई डॉक्टरों की एक टीम की मौजूदगी में इसका पोस्टमार्टम किया जाएगा।
मृतक के पिता की याचिका पर आया आदेश
हाई कोर्ट का यह फैसला मृतक के पिता चांद मियां की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह पहले पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं है। याचिकाकर्ता ने शव को कब्र से निकालकर AIIMS में इसका पोस्टमार्टम कराने की मांग की थी। स्थानीय पुलिस की भूमिका के चलते वो दूसरे राज्य से पोस्टमार्टम कराना चाहते थे। उत्तर प्रदेश का पक्ष रख रहे एडिशन एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने इस याचिका का विरोध नहीं किया था।
10 दिन में पूरी करनी होगी प्रक्रिया
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हाई कोर्ट ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी होने चाहिए। कोर्ट ने पोस्टमार्टम, वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ की एक कॉपी अपने पास और एक-एक कॉपी न्यायिक और विभागीय जांच समितियों के सामने पेश करने का आदेश दिया है। यह सारी प्रक्रिया 10 दिनों में पूरी करनी होगी। कोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपने की मांग पर कोई फैसला नहीं दिया है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2001 से 2020 तक की सालाना रिपोर्ट्स के अनुसार, इन 20 सालों में देशभर में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है। इनमें से 893 में पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए और 358 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। हालांकि दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों की संख्या बेहद कम रही और महज 26 पुलिसकर्मियों को इन 1,888 मामलों में जेल की सजा हुई है।