CBI मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ पश्चिम बंगाल की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी गई सामान्य सहमति रद्द करने के बावजूद एजेंसी द्वारा मामले दर्ज करने को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिका को सुनवाई योग्य माना। अब इस याचिका पर सितंबर से सुनवाई शुरू होगी।
क्या है मामला?
दरअसल, पश्चिम बंगाल ने नवंबर, 2018 में CBI को दी गई राज्य की सहमति वापस ले ली थी। इसके बाद अगर CBI को पश्चिम बंगाल में किसी मामले की जांच करनी है तो उसे राज्य सरकार की सहमति लेनी जरूरी है। बंगाल सरकार का कहना है कि CBI को FIR दर्ज करने का अधिकार नहीं है, फिर भी वह लगातार अलग-अलग मामलों में केस दर्ज कर जांच और गिरफ्तारी कर रही है।
पश्चिम बंगाल सरकार के क्या आरोप हैं?
बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया है कि CBI से राज्य द्वारा सहमति वापस लेने के बावजूद वो बिना सहमति के कई मामलों की जांच कर रही है। सरकार का आरोप है कि राज्य के अधीन आने वाले मामलों में एकतरफा रूप से CBI को भेजकर केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर रही है।
मामले पर केंद्र सरकार का क्या कहना है?
इस मामले पर आखिरी सुनवाई 8 मई को हुई थी। तब केंद्र की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा था, "संविधान का अनुच्छेद 131 सुप्रीम कोर्ट को मिले सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है। जिन मामलों की बात बंगाल सरकार कर रही है, उसमें से एक भी केंद्र सरकार ने दर्ज नहीं किया है। सभी के सभी मामले CBI ने दर्ज किए हैं और वो एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है।"
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के वाद पर कानून के अनुरूप, गुण-दोष के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से आपत्ति को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि CBI जांच के लिए राज्य की सहमति लेनी जरूरी है और कानूनी अधिकार संविधान के संदर्भ में उत्पन्न होना चाहिए और इसमें संघ की शक्ति से प्रतिरक्षा भी शामिल है।