#NewsBytesExplainer: सुप्रीम कोर्ट ने करगिल में होने जा रहे LAHDC चुनाव क्यों रद्द किए?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को करगिल क्षेत्र में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) चुनाव की अधिसूचना को रद्द कर दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग के एक हफ्ते के अंदर चुनाव के लिए नई अधिसूचना जारी करने को कहा है। कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को 'हल' चुनाव चिन्ह आवंटित करने के खिलाफ लद्दाख प्रशासन की याचिका भी खारिज कर दी। इन दोनों मामलों का क्या संबंध है और LAHDC चुनाव क्यों रद्द हुए, आइए जानते हैं।
क्या है मामला?
5 अगस्त को एक अधिसूचना के अनुसार 30 सदस्यीय LAHDC करगिल की 26 सीटों के लिए 10 सितंबर को मतदान होना था और वोटों की गिनती 4 दिन बाद 14 सितंबर को होनी थी। हालांकि, लद्दाख प्रशासन ने चुनाव में NC के उसका 'हल' चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी, जिसके खिलाफ NC जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट चली गई। हाई कोर्ट ने NC के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे लद्दाख प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था?
9 अगस्त को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था। कोर्ट के चीफ जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और जस्टिस एमए चौधरी की बेंच ने कहा था कि NC के लिए 'हल' चुनाव चिन्ह आरक्षित है। बेंच ने कहा था कि पार्टी को चुनाव निशान नियमों के तहत दिया गया है क्योंकि चुनाव आयोग से उसे जम्मू और कश्मीर की राज्य पार्टी की मान्यता मिली हुई है।
सुप्रीम कोर्ट में लद्दाख प्रशासन ने क्या तर्क दिया?
लद्दाख प्रशासन ने अपनी याचिका में कहा था कि NC लद्दाख में मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी नहीं है, इसलिए वह आरक्षित चुनाव चिन्ह पर अधिकार का दावा नहीं कर सकती है। प्रशासन ने याचिका में कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के खिलाफ है। उसका तर्क था कि NC के पक्ष में 'हल' चिन्ह का आरक्षण केवल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के संबंध में था।
नेशनल क्रॉन्फ्रेंस ने कोर्ट में क्या तर्क दिया?
NC के वकील की ओर से कोर्ट में कहा गया कि पार्टी लद्दाख हिल काउंसिल की सत्ता में थी और उसके उम्मीदवारों को स्थानीय चुनाव में पार्टी के आरक्षित चुनाव निशान पर लड़ने से नहीं रोका जा सकता। पार्टी के वकील ने कोर्ट में दावा किया था कि अधिकारी लद्दाख में LAHDC चुनावों के लिए 'हल' चुनाव चिन्ह के आवंटन को अधिसूचित नहीं कर रहे और यह प्रतीक पहले ही पार्टी के पक्ष में आरक्षित था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए NC को 'हल' चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। यही नहीं, उसने इसे और लद्दाख प्रशासन द्वारा की गई अन्य अनियमितताओं को आधार बनाते हुए LAHDC चुनाव की अधिसूचना को ही रद्द कर दिया। कोर्ट ने याचिका दायर करने के लिए लद्दाख प्रशासन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
NC नेता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या कहा?
NC के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक्स पर लिखा, 'पार्टी को वह फैसला मिल गया, जो हम चाहते थे और जिसके हकदार थे। हमारा चुनाव चिन्ह 'हल' सुप्रीम कोर्ट ने हमें दे दिया है।' उन्होंने आगे लिखा, 'भाजपा ने पूरी तरह से पक्षपाती लद्दाख प्रशासन की मदद से हमें हमारे अधिकार से वंचित करने के लिए हरसंभव कोशिश की। कोर्ट ने इसे देखा और प्रशासन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।'
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
केंद्र सरकार ने 2019 में जन्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था। इसके बाद जन्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद पहली बार LAHDC चुनाव होने हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में भी पंचायत चुनाव हो चुके हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव अभी तक नहीं हुए हैं।