सरकार ने कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो 'खेल रत्न' पुरस्कार लौटा दूंगा- विजेंद्र सिंह
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का बॉक्सर विजेंदर सिंह (35) का भी साथ मिल गया है।
बॉक्सर सिंह ने रविवार को कहा कि यदि सरकार तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो वह अपना 'राजीव गांधी खेल रत्न' पुरस्कार वापस लौटा देंगे।
बता दें कि यह पुरस्कार भारत में विशेष रूप से सर्वोच्च खेल सम्मान है। इधर, सरकार किसानों के साथ विरोध को सुलझाने के लिए बातचीत कर रही है।
विवरण
किसानों के समर्थन में सिंघु बॉर्डर पहुंचे विजेंद्र सिंह
विजेंद्र सिंह ने रविवार को किसानों के विरोध प्रदर्शन के 11 वें दिन सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पहुंचकर किसानों का समर्थन किया।
इस दौरान उन्होंने घोषणा करते हुए कहा, "अगर सरकार काले कानून को वापस नहीं लेती है, तो मैं अपना राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार लौटा दूंगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि उनके राज्य हरियाणा से कई अन्य एथलीट भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उन्हें किसी परेशानी में फंसने का डर है।
बयान
पंजाब से चली है मेरी रोजी-रोटी- विजेंद्र सिंह
कांग्रेस के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने वाले विजेंद्र सिंह ने कहा, "मैंने पंजाब में प्रशिक्षण प्राप्त किया था और मेरी रोजी-रोटी पंजाब से चली है। आज जब किसान इस ठंड में यहां हैं, तो मैं उनके भाई के रूप में यहां आया हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "हरियाणा के अन्य एथलीट भी आना चाहते थे, लेकिन उनके पास सरकारी नौकरियां हैं और वह परेशानी में पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह किसानों के साथ खड़े हैं।"
करियर
ऐसा रहा है विजेंद्र सिंह का करियर
मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले सिंह राष्ट्रीय स्तर के प्रोफेश्नल बॉक्सर हैं। उन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक, 2009 वर्ल्ड चैम्पीयनशिप और 2010 कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रोंज मेडल और साल 2006 और 2014 कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल अपने नाम किए थे।
उन्हें बॉक्सिंग में शानदार प्रदर्शन के लिए पद्म श्री, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स के सम्मानों ने नवाजा जा चुका है। इसके अलावा वह फिल्मों में भी हाथ आजमा चुके हैं।
जानकारी
पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसा किसानों का समर्थन
पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुलकर विरोध का समर्थन किया है। दूसरी ओर हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है और वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का नेतृत्व करती है। NDA ने ही कानूनों को पारित किया है।
विरोध
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था।
किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री भी लौटा चुके हैं 'पद्म विभूषण'
शिरोमणि अकाली दल के नेता और पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल किसानों के विरोध के समर्थन में राष्ट्रीय सम्मान लौटाने वाले पहले व्यक्ति थे। बादल ने भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' लौटा दिया था।
इसके बाद, SAD सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण को लौटा दिया था। SAD ने सितंबर में विरोध में सत्तारूढ़ NDA से खुद को अलग कर लिया था।
हड़ताल
किसानों ने 8 दिसंबर को किया है देशव्यापी हड़ताल का आह्वान
बता दें कि कृषि कानूनों के विरोंध में किसानों ने 8 दिसंबर (मंगलवार) को देशव्यापी हड़ताल (भारत बंद) का आह्वान किया है। कांग्रेस पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, आम आदमी पार्टी, सहित कई ट्रांसपोर्ट संघों ने हड़ताल का समर्थन किया है।
इधर, सरकार बुधवार को किसानों के साथ छठे दौर की वार्ता करने वाली है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को इस मामले पर अन्य मंत्रियों के साथ बैठक भी की है।